१६-१७ साल पहले एक दिन स्कूल से तुरंत निकला ही था कि एक फिल्म के पोस्टर पर नजर पड़ी। साथ चल रहे दोस्त ने कहा- यार ये फिल्म देखी क्या? हिट हो गयी है। फिल्म का नाम था-कयामत से कयामत तक। फिल्म की हीरोइन थीं जूही चावला।
आज पढ़ा कि १३ नवंबर को जूही ने उम्र के ४०वें पायदान पर कदम रख दिया। थोड़ा विस्मय, थोड़ी हिचकिचाहट के साथ पूरी खबर पढ़ डाली। लेकिन साथ ही यह भी लगा कि माधुरी दीक्षित, जूही चावला जैसी अभिनेत्रियों के साथ हम जैसों की एक पीढ़ी भी बड़ी हो गयी।
उनकी फिल्मों से ज्यादा लोग शायद उनके हंसमुख व्यक्तित्व के कायल होंगे। राजू बन गया जेंटलमैन, डर, बोल राधा बोल जैसी फिल्मों से जूही ने अभिनय की दुनिया में अपना लोहा मनवा लिया। एक विशेष खाद्य सामग्री के एडवरटाइजमेंट को अनोखे अंदाज में पेश करना भी शायद उनके कारण ही संभव हो पाया।
उनके व्यक्तित्व में जिस सादगी और प्रफुल्लता का बोध होता है, उसकी कमी आज की अभिनेत्रियों में साफ झलकती है। माधुरी के साथ जूही को भी फिल्मों की अनोखी यात्रा में अनोखे योगदान के लिए हमेशा याद किया जायेगा। आशा है कि आनेवाले लंबे समय तक वे अपने अनोखे अंदाज से मनोरंजन की दुनिया में टिकी रहेंगी।
Thursday, November 13, 2008
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1 comment:
सही कह रहे हैं-यह बात आजकल की हिरोईनों में मिसिंग नजर आ रही है.
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