Sunday, December 7, 2008

बचकानी राजनीति से बाज आये पाकिस्तान

जब पाकिस्तान के राष्ट्रपति को हॉक्स कॉल किये जाने की बात सामने आयी और इस मामले में पाकिस्तान द्वारा जैसी पैंतरेबाजी की गयी, उसने पाकिस्तानी राजनीतिकों की बचकानी हरकतों को सामने लाकर रख दिया है। जिस अंधेरी सुरंग और हिंसा के रास्ते पर इस देश का बढ़ना हो रहा है, उसके बारे में सोचते ही मन कांप उठता है।

जो भी आतंकी मारे गये हैं और कसाब नामक जो आतंकी पकड़ा गया है, वे पाकिस्तानी ही हैं। हिंसा और द्वेष की आग में जल रहा पाकिस्तान खुद संभलने की स्थिति में है नहीं, और अप्रत्यक्ष रूप से भारत के इकोनॉमिक स्टेटस पर हमले की मंशा पाले हुए है। वहां पर प्रांतीय स्तर पर जिस प्रकार की मतभिन्नता की खबर सुनने को मिलती है, वैसी स्थिति में भी इस देश के भविष्य को लेकर स्वाभाविक तौर पर चिंता होती है। इधर हाल में ब्रिटेन के अखबार द आब्जवॆर ने ऐसे सबूत दिये हैं, जिन्हें नकारना असंभव जान पड़ता है। खबर के अनुसार गिरफ्तार आतंकी कसाब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के फरीदकोट का रहनेवाला है। जानकारों के अनुसार पाकिस्तान का पंजाब प्रांत आतंकियों की भरती के लिए लश्करे तैयबा का पसंदीदा इलाका रहा है। अखबार के अनुसार जब एक ग्रामीण को कसाब की तस्वीर दिखायी गयी, तो उसने पुख्ता तौर पर कहा कि वह पहले फरीदकोट में रहता था और पिछली ईद में यहां आया था। पिछले दिनों एक रिपोटॆ आयी थी कि आतंकियों के कपड़े, जूते, क्रीम सारे पाकिस्तानी ब्रांड के हैं। इतना सब होने के बाद भी पाकिस्तान और सबूत मांग रहा है। निलॆज्जता की हद तक नकारने की इस कोशिश को क्या कहा जाये। ऊपर से पाकिस्तानी राजनीतिक फरजी कॉल के सहारे कूटनीतिक चाल चल रहे हैं। इसे देखकर ये तो कहा ही जा सकता है कि पाकिस्तानी राजनीतिकों को राजनीतिक चालें चलनी नहीं आती हैं।

मिशन २०१२ - पाक में आधा भारत

खबर के अनुसार पाकिस्तान के बदले बयानों के बीच एक इमेल उसकी मंशा को साफ करता है। इस इमेल में दो लिंक दिये गये हैं। बताया गया है कि ये पाकिस्तानी अखबार डेली एक्सप्रेस के हैं। इसमें पाकिस्तान के दो मिशन दिखाये गये हैं। पहले मिशन में २०१२ के पाकिस्तान में आधा भारत समा चुका है और २०२० के नक्शे में पूरा भारत गायब है। उसकी जगह ले ली है इस्लामिक रिपब्लिक अॉफ पाकिस्तान ने। मतलब साफ है कि अब साइबर जाल के सहारे भी पाकिस्तान का तंत्र लड़ाई छेड़ चुका है। लेकिन इन मकसदों में उसे कामयाबी नहीं मिलनेवाली। पहले तो भारत की राजनीति उस लिहाज से काफी परिपक्व है। साथ ही पिछले ६० सालों से पाकिस्तान की हरकतों को झेलते हुए वह इतना आगे बढ़ चुका है कि वहां की ऊंचाई को छूने में उसे सालों लग जायेंगे।

पाकिस्तनी राजनीतिक और रणनीतिकार अपनी बचकानी हरकतों और गलत मंशा को समुद्र में फेंक कर सुकून की जिंदगी जीयें, यह सबके लिए जरूरी है।

2 comments:

Anil Kumar said...

इस लेख का अंग्रेजी अनुवाद करके पाकिस्तानी अखबारों में भेजा जाये. प्रकाशित नहीं होगा, लेकिन उन्हें पता तो चले कि जिस हमाम में पाकिस्तान नहाता है, वह कांच का बना है - सब दिखता है.

Gyan Dutt Pandey said...

मतलब साफ है कि अब साइबर जाल के सहारे भी पाकिस्तान का तंत्र लड़ाई छेड़ चुका है। लेकिन इन मकसदों में उसे कामयाबी नहीं मिलनेवाली।
-----------
मैं तो इतना श्योर नहीं हूं। केवल पाकिस्तान की कृपा नहीं, यहां नेपाल-चीन-बांगला इत्यादि भी हैं। हमें कूटनीति में चाणक्य का आवाहन करना है।

Prabhat Gopal Jha's Facebook profile

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

अमर उजाला में लेख..

अमर उजाला में लेख..

हमारे ब्लाग का जिक्र रविश जी की ब्लाग वार्ता में

क्या बात है हुजूर!

Blog Archive