
शुरू के दिनों में जब सौंदयॆ प्रतियोगिताएं होती थीं, तो भारतीय संस्कृति की दुहाई देनेवाले हाय-तौबा मचाते, ऐसा बवाल होता था कि अखबारों के पेज दर पेज सांस्कृतिक विचारधारा पर हमले के लेख से रंगे होते थे। समय बदला है, नजरिया बदला है और सोच भी। एक अलग चीज विकसित हुई है, वह है भारत की महिलाओं के बाहरी दुनिया के साथ तालमेल बैठाकर आगे बढ़ने की। इसे आप प्रैक्टिकल होना कहें या स्माटॆनेस। अब संबंध, संस्कृति और देश की दुहाई देकर उन्हें नकारा नहीं जा सकता। यही कारण है कि उनमें स्माटॆनेस का लेवल इतना बढ़ा है कि सौंदयॆ प्रतियोगिताओं में भारतीय महिला द्वारा ताज को लेकर जताये जा रहे दावे को नजरअंदाज करना मुश्किल है।
अब सुंदरता का पैमाना नैन-नक्श की बजाय स्माटॆनेस हो गया है। आप कैसा बोलते हैं, आपका नजरिया कैसा है और आप कितने व्यवहारकुशल हैं। ऐसी छवि, जो एक बार में ही सामनेवाले के जेहन पर अमिट छाप छोड़ जाये। जिंदगी के संघषॆ में भी यही विजेता भी बनाता है। फैशन फिल्म को देखकर संस्कृति की दुहाई देनेवाले भी चकित होंगे। खुद को स्थापित करने की जद्दोजहद में कितने और कैसे फासले किसी को तय करने पड़ते हैं, इसका उसमें बखूबी चित्रण किया गया है।
हम सब कहीं न कहीं से इन चीजों को दाद भी देते हैं, भले ही ऊपरी तौर पर कितना ही दिखावा क्यों न करें। पावॆती ने दूसरा स्थान पाया, तो इसलिए नहीं कि वह सिफॆ सुंदर है, बल्कि इसलिए भी शायद उनमें वो काबिलियत है, जो बिरले को ही नसीब होते हैं। मिस वल्डॆ फस्टॆ रनर अप पावॆती को उनकी इस सफलता पर ढेर सारी बधाई।
2 comments:
भारत की प्रतिष्ठा बढाने के लिए उनकी सफलता पर बहुत बहुत बधाई।
इण्टरेस्टिंग। पर सौन्दर्य/स्मार्टनेस पर गहन सोच नहीं की। दोनो ही फैक्टर अपने में न होने के कारण! :)
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