Wednesday, December 31, 2008
भय से मुक्ति पाने की ठान ली है।
२००८ बीत गया, लेकिन उसके साथ हमारे जेहन में काफी यादें छोड़ गया है। शायद भय का ज्यादा। लेकिन मैंने नये वषॆ के संकल्प के तौर पर खुद को इस भय से मुक्ति पाने की ठान ली है। लेकिन सवाल वही है कि हम इस भय से मुक्ति पाने के लिए करें क्या। क्या हर रोज अपने दिलोदिमाग में ये बातें घर करें कि हमें फलां-फलां चीज से डर नहीं लगता। दूसरी ओर ऐसा हर समय करना संभव नहीं है। इसका एक ही मंत्र नजर आता है, खुद के आत्मविश्वास को इतने उच्च स्तर तक हम ले जायें कि भय हमारी कल्पना से परे हो। क्या आपने दम फिल्म देखी है। देखी ही होगी, अगर न देखी हो, तो देख लिजिये। विवेक ओबेराय अभिनीत इस फिल्म में हनुमान चालीसा पाठ और हनुमान भक्ति से प्राप्त संकल्प शक्ति के बल पर कैसे नायक कठिनाइयों पर विजय पाता है, इसमें दिखाया गया है। ऐसा निजी जिंदगी में न होता हो, लेकिन मजबूत इच्छाशक्ति प्राप्त कर हम मन के भय पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। भय तो मृत्यु तक साथ लगा ही रहेगा। भय या कठिनाइयां तो जिंदगी का हिस्सा हैं। इन्हें खुद का साथी बनाकर अपनी कमजोरियों पर जीतते जाना ही सही विजयी होगी। थोड़ी दिक्कत शुरू में होगी, लेकिन मेरे विचार से यह कठिन भी नहीं होगी। क्यों न अपनी दिक्कतों को सूचीबद्ध करते हुए हम क्रमवार तरीके से उन पर लक्ष्य निरधारित करते हुए विजय पायें। जरूरी है कि सकारात्मक सोच पर जीवन में ज्यादा जोर हो। ऐसा करें, तो सफलता हमारे कदम चूमेगी।
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1 comment:
मजबूत इच्छा शक्ति वास्तव में सही मूलमन्त्र है। स्वामी बुधानन्द की Will Power and its Development बहुत काम की पुस्तिका है - अद्वैत आश्रम की।
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