Friday, February 27, 2009

ब्लागर्स कितने जिम्मेदार-३, नेगेटिव ऊर्जा को नकारें, आत्मघाती और आत्मसमृद्धि, दोनों प्रवृत्तियों को तौलना होगा

भारत को सिर्फ हिन्दी पट्टी के आईने में आप देखते हैं, या फिर दक्षिण भारत से लेकर उत्तर भारत तक। भारत को आप सिर्फ हिन्दुत्व के नजरिये से देखते हैं या संपूर्ण धर्मों को साथ लेकर। भारत को आप कृषि प्रधान बनाने की दृष्टि से देखते हैं या आर्थिक, सामाजिक रूप से समृद्ध बनाने को लेकर। बहस या बातचीत के कई कोण हो सकते हैं। आप या हम कौन सा नजरिया पकड़ते हैं, वह महत्वपूर्ण हैं।

अगर हम डंडे को कस कर पकड़ते हुए ऊपर से गोंद चिपका लें कि उसे किसी भी हाल में अलग नहीं करना है, तो किसे गरज पड़ी है कि हमारे हाथ से डंडा छुड़वा लेगा। डंडे से हम किसी का सर भी फोड़ सकते हैं या फिर अपने ऊपर हमला करनेवाले किसी शख्स से अपना बचाव भी कर सकते हैं। यानी आत्मघाती प्रवृत्ति के साथ-साथ आत्मसमृद्धि, दोनों तरह की प्रवृत्तियों को तौलना होगा।

अब बुद्धि और विवेक जैसी चीजें जब हमारे पास हैं, तो हम निश्चित रूप से फायदेवाली चीजों को ही अहमियत देंगे। जिससे न तो हमारा कोई नुकसान हो, न ही किसी दूसरे व्यक्ति का। ब्लाग के साथ भी वैसा ही है। लिखने की आजादी है, लिखिये, लेकिन किसी देश, समुदाय या व्यक्ति को गाली देकर हम-आप जिस नेगेटिव ऊर्जा का इस्तेमाल करते हैं, क्या वह जायज है?इस पर जोरदार मंथन होना चाहिए।
गाहे-बगाहे टिप्पणियों के दौर में भी कोई भी शख्स किसी बात का जोरदार खंडन नहीं करता। यही बात इस ब्लाग जगत को नुकसान कर रही है। अगर विरोध जताया भी जाता है, तो एनोनिमस बनकर फालतू की बातों के साथ। बेसिर पैर की बहस करके जिस लोकप्रियता को पाने की कोशिश होती है, वह कितनी जायज होती है। ऐसा कर क्या हम वैचारिक समृद्धि की ओर ब्लाग जगत को बढ़ाने के अपने दायित्वों का निर्वाह कर रहे हैं। यही महत्वपूर्ण सोच है, जिसे रोज नकार कर हम आगे बढ़ जाते हैं। कोई हमें टिप्पणी दे या न दे, लेकिन हम-आप अपना सौ प्रतिशत देते हुए बेहतर लेखन निष्पक्ष होकर करें, यही उचित है।
अब सुरेश जी ने नेगेटिव ऊर्जा की जो बात उठायी है, तो उस एक्सट्रीम नेगेटिव ऊर्जा की इस देश या समाज को जरूरत नहीं है। क्योंकि हमारा समाज पहले ही इन नेगेटिव ऊर्जा से इतना नुकसान पा चुका है कि अब उसमें और बर्दाश्त करने की क्षमता नहीं है। जब पूरी दुनिया के अन्य देश और पड़ोस के मुल्क इसी एक्सट्रीम नेगेटिव ऊर्जा का शिकार होकर बरबाद हो रहे हैं, तो हम क्यों उस स्थिति पर पहुंचने का रास्ता अख्तियार करें, जरां सोचें।

(हमने पूरी बहस को निष्पक्षता से रखने की कोशिश की है। अगर किसी को कुछ कहना हो, जरूर प्रतिक्रिया दे)

8 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

आप से सहमत हूँ। हम बहुत सारी नकारात्मकताएँ जी रहे हैं। सकारात्मकता की लकीर नकारात्मकताओं के सामने बहुत छोटी और पतली पड़ गई है। हमें चाहिए सकारात्मकता की इस लकीर को पुष्ट करते हुए उसे नकारात्मकता से बहुत बहुत लंबी और मोटी बना दें।

Unknown said...

प्रभात जी, यूँ भी समूचा ब्लॉग जगत पहले ही सकारात्मक ऊर्जा से सराबोर हो रहा है… ऐसे में मेरे जैसे एकाध-दो "नकारात्मक ऊर्जा वाले लोग" लिखते भी रहें तो क्या फ़र्क पड़ेगा… :) :) चलिये देखते हैं बहस क्या रूप लेती है… (मैं तो कभी बेनामी टिप्पणियाँ नहीं करता, न ही अपने ब्लॉग पर लेता हूँ)… सकारात्मक ऊर्जा की जय हो… :) :)

222222222222 said...

बहस चलती रहे, संवाद बना रहेगा।

Anonymous said...

अगर हम डंडे को कस कर पकड़ते हुए ऊपर से गोंद चिपका लें कि उसे किसी भी हाल में अलग नहीं करना है, तो किसे गरज पड़ी है कि हमारे हाथ से डंडा छुड़वा लेगा। डंडे से हम किसी का सर भी फोड़ सकते हैं या फिर अपने ऊपर हमला करनेवाले किसी शख्स से अपना बचाव भी कर सकते हैं।

गोपाल घी मे भी उर्जा ही होती है सुरेश जी पी जाऒ बाकी सारा देश इन्ही की बताई उर्जा से चल रहा है जरा स्विस बैंक के एकाउंट मे देखो इशी के बताये रास्ते से पैसा जमा किया है लोगो ने :)

Anonymous said...
This comment has been removed by a blog administrator.
अजय कुमार झा said...

haan prabhat jee, mujhe to lagtaa hai ki nakaaratmak cheejon kaa aakarshan hee ye sab swatah karwaataa hai, achaao ho ki sabko khud hee ye ehsaas ho jaaye.

Basera said...

आपकी बात पसंद आई। सचमुच, नकारात्मक लेखन से कोई हमारा सच्चा हमदर्द नहीं बन सकता, जबकि सकारात्मक लेखन से कोई हमारा विरोध नहीं कर सकता।

anilpandey said...

darasal sakaratmak tow sabhi hona chahte hain pr n jane kyon aur kaise we nakaratmak ho jate hain . yh paresani hr lekhak ke sath hoti hai . koshish yhi honi chahie ki wh apne aaine men nakaratmak hote hue bhi doosare ke aaine men sakaratmak hi rhe. baki samwad ke lie swagat pahali bar aapka blog dekha khushi huee.

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