एनोनिमस भाई नमस्कार
जब भी किसी लोकप्रिय या विवादित पोस्ट पर जाता हूं, तो पता नहीं, क्यों कमेंट्स करनेवालों में आपका नाम आंखें खोजने लगती हैं। जब से ब्लाग पर लिखना शुरू किया, काफी लोगों को जाना है, लेकिन आपको जानने का प्रयास करना, तो लगता है कि प्रशांत महासागर में डुबकी मार कर निकलना है।
संयोग देखिये, अंगरेजी ब्लागों के पोस्टों पर गया, तो वहां भी आप कमेंट्स देते हुए मिल गये। ये बात मैं कोई आलोचना करने की दृष्टि से नहीं लिख रहा। मैं तो एनोनिमस बनकर कमेंट्स दे रहे उस शख्स को धन्यवाद देना चाहता हूं, जो इस अनोखे माध्यम का काला हीरा बन चुका है। काला हीरा कोयला को कहते हैं। वह रंग से तो काला रहता है, लेकिन उसके अंदर छिपी असीम ऊर्जा में पूरी मानवीय सभ्यता को चलाने की शक्ति है। वैसे ही आपकी टिप्पणियां इस ब्लाग जगत को चलाने का काम करती हैं।
लेकिन एक बात है टिप्पणी देने में भी आप पलटी मार मारकर टिप्पणी देते हैं। ये नहीं समझ में आता है कि आप पक्ष में हैं या विपक्ष में। सबसे बड़ी बात तो ये है कि आप जो भी हैं, आपमें पोस्टों को पढ़ने की अद्भुत क्षमता है। आप जानकारी भी काफी रखते हैं। नहीं तो कोई भाई बिना जानकारी इतनी पुख्ता टिप्पणियां कैसे दर्ज करे। काफी कुछ है कहने को। लेकिन अहम बात ये है कि आपसे रिश्ता सा बन गया है। कुछ लोगों ने तो अपने पोस्टों में आपके टिप्पणी देने पर ही रोक लगा दी है। जो भी हो, आपकी उपस्थिति को नकार कर आगे नहीं बढ़ा जा सकता है। सिर्फ एक विनती है, कभी-कभी आप बड़ी कड़ी टिप्पणी कर देते हैं। थोड़ा मुलायम होकर हाथ भी फेर दिया करें। हमेशा पत्थरबाजी कुछ ठीक नहीं होती। वैसे मेरी बात से आपके मन को ठेस तो नहीं पहुंची है न!
शेष फिर कभी
प्रभात
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
9 comments:
भाई वाह! बढिया लिखा है आपने. एक बात और, हमें कृतज्ञ होना चाहिए एनॉनिमस जी के प्रति क्यों कि वह टिप्पणियों का गुप्तदान तो करते ही हैं, यह उम्मीद भी नहीं रखते कि बदले में आप उनके यहाँ जाएंगे टिप्पणी करने. ऐसा दानी तो दधीचि टाइप का ही कोई महात्मा हो सकता है.
ओम विघ्नये स्वाहा! ओम एनॉनिमसायै नम:।
टिप्पणियों का गुप्तदान - ओम एनॉनिमसायै नम:
waise bat jo bhi ho. anonymous bhai sahab abhi tak nahi aaye. dekhie post likh kar unki hi tippni ka intjar kar raha hoo.
anoymous bhai mere blog ko bhi krithrth kare.
jay ho jay ho
लो तुमने पुकारा और मैं आ गया… भक्त की पुकार सुनकर मुझसे रहा नहीं जाता… :) :)
very very thanks
हम भी अनोनिमस हैं, जीते रहो बालक
बहुत सही लिखा है भाई जान ...
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
तुमने पुकारा और हम चले आए. साथ में कमेन्ट भी लाये.
हमें याद करने के लिए धन्यवाद.
Post a Comment