मनोज वापपेयी जी भी लिखते हैं, लेकिन उनका सपाट अंदाज थोड़ा चिढ़ाता है। हम उनकी लेखनी के माध्यम से बिहार, राष्ट्र और बालीवुड की गतिविधियों का विशलेष्णात्मक नजरिया देखना चाहते हैं। लेकिन उनकी लेखनी शायद बांध नहीं पाती, कुछ सीधा सपाट सा रहता है। जैसे ऊपर चढ़े तो सीधे फिसल कर जमीन पर आ गिरे। आप अगर महानायक अमिताभ जी के ब्लाग पर जायेंगे, तो उनकी यायावर जिंदगी के हर पहलू को पायेंगे। चाहें वह कन्याकुमारी हो या न्यूयार्क, पेरिस की ग्लैमर से भरी दुनिया।
बड़े पत्रकार तो खैर बेहतर लिखते ही हैं, लेकिन उनमें प्रसून वाजपेयी जी का लिखना उलझा सा जाता है। उनकी पोस्ट तो इतनी लंबी लगती है कि धैर्य खत्म होता प्रतीत होता है। कभी-कभी विरोधाभास के चलते मन भी साथ छोड़ने लगता है। अगर पत्रकारों में प्रसिद्ध एंकर शीतल राजपूत के ब्लागों पर जायेंगे, तो मन उनकी लेखनी को दाद देने के लिए वाह-वाह कर उठेगा। उनकी लेखनी में भी यायावरी का पुट नजर आता है। हमारे विचार से उनके द्वारा प्रस्तुत हाऊ की यादें मेरे द्वारा अब तक पढ़ी गयी सर्वश्रेष्ठ पोस्टों में से एक है।
अब आपको लग रहा होगा कि अचानक ये क्या मैं विश्लेषण करने बैठ गया, तो पाया कि ऐसा क्या है कि कोई शिखर के चरम बिंदु पर पहुंच कर भी अपनी श्रेष्ठता बरकरार रख पाता है। थोड़ा सोचने पर अमिताभ जी की लेखनी पर ध्यान गया। एक गंभीर व्यक्ति की तरह उनकी पैनी नजरें हर उस नजरिये को प्रस्तुत करती चली जाती हैं, जिन्हें आप जानना चाहते हैं। यानी यहां भी वह अपना सवश्रेष्ठ योगदान देते चले गये हैं।
नये ब्लागरों में अमित जी के ब्लागों पर नजर डालिये। उनके द्वारा कैमरे से खींची गयीं तस्वीरें आपको उनकी फोटोग्राफी की दाद देने के लिए मजबूर कर देंगी। उनकी पोस्टों में ऐसा कुछ है कि वे आपको खींचती हैं।
ब्लाग लेखन है क्या? इसी पर विवाद है। हम ब्लागिंग क्यों करते हैं? इस पर कई सवाल हैं? लेकिन एक जवाब ये है कि इसके माध्यम से आप अपने विचारों को सकारात्मक ऊर्जा के साथ दुनिया के सामने प्रस्तुत कर सकते हैं। उसके लिए कोई जरूरी नहीं है, आप नकारात्मक शब्दों का सहारा लें। हर चीज को देखने के लिए सिर्फ शीशे का रंग साफ होना चाहिए। हम उस पर खुद रंग चढ़ा कर अगर दुनिया को देखेंगे, तो दुनिया अलग ही नजर आयेगी।
अब आज जितना लगा लिखा, और सब बाद में।
5 comments:
बंधु, ब्लॉग एक स्वतंत्र माध्यम है। यहां सभी अपने-अपने हिसाब से बेहतर लिखते हैं।
Aapke madhyam se kuch bade blogron ke bare me jankari mili shukriya....!!
नकारात्मक आलेखन चलते रहने दीजिये. इससे लोगों को पहचानना आसान हो जायगा.
सब्जी लेने जाते हैं तो अच्छे-बुरे की पहचान करके ही तो अपन लोग अच्छे को छांट लेते हैं
सस्नेह -- शास्त्री
इस आसमान में सबको अपनी पतंग उडाने दें। सारी दुनिया देख रही है। लोग खुद ही तय कर लेंगे।
कौन से बैरोमीटर से बड़ा छोटा नापा ,आप जिनका नाम ले रहे हो उससे हजारगुना बेहतर लिखने वाले ब्लोगर और पत्रकार भी है.
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