Wednesday, March 18, 2009

उमा का नया पैंतरा, भाजपा का गड़बड़झाला यानी फोर-फोर बराबर शून्य, चुनावी दंगल-४


जब उमा भारती ने लालकृष्ण आडवाणी को प्रधानमंत्री के पद के योग्य बताया, तो मन कुछ पूछने लगा। आखिर उमा भारती का ये कौन सा दांव है। उन्होंने भाजपा से बाहर रहते हुए अरुण जेटली तक को नसीहत दे डाली।
आज से कुछ साल पहले पर जब पूरे देश ने टीवी के स्क्रीन पर उनकी बगावत को स्पष्ट और फिल्मी अंदाज में देखा था, तो सनसनी दौड़ गयी थी। भाजपा तब एक अनुशासन पसंद और राजनीतिक सितारों से भरी पार्टी नजर आती थी, लेकिन आज भाजपा का क्या हाल है? एक खेमा जगता है, तो दूसरा सोता है। और एक खेमा शांत होता है, तो दूसरा बगावत करता है। ये स्पष्ट है कि जो नेता भाजपा से बगावत करके गये, उनका अस्तित्व गौण हो गया। वे कहीं के नहीं रहे, चाहे वे बाबूलाल मरांडी हों या कल्याण सिंह या उमा भारती।
उमा जी के नेतृत्व में भारतीय जनशक्ति पार्टी की शक्ति का जो हाल मध्यप्रदेश में हुआ है, उससे सभी अवगत हैं। उसमें उमा भारती का लालकृष्ण आडवाणी को चुनाव के ठीक पहले प्रधानमंत्री के पद के लिए योग्य बताना नये पैंतरे का अहसास कराता है। यह अहसास कराता है कि कहीं कुछ खिचड़ी पक रही है या गड़बड़ है। यह अवसरवादिता का नया अनोखा चेहरा है। उमा भारती एक अद्भुत वक्ता जरूर हैं। लेकिन हाल के वर्षों में उनके द्वारा की गयी बगावत, असफलता और द्वंद्व की स्थिति ने उनकी छवि को काफी नुकसान पहुंचाया है।
भाजपा वर्तमान समय में एक ऐसी नाव पर सवार हुई प्रतीत होती है, जिसे समुद्र में बिना पतवार के सहारे छोड़ दिया गया है। अटल बिहारी की वैसी सशक्त मौजूदगी है नहीं, जिनके चेहरे के पीछे प्लास्टिक मुस्कान के सहारे सफलता की सीढ़ियां चढ़ी जा सके। अब तो जो कुछ है सामने है। वरुण गांधी की आक्रामकता, शहनवाज हुसैन और मुख्तार अब्बास नकवी का विनम्र और अल्पसंख्यक मॉडरेट चेहरा, यानी एक साथ सारे समीकरणों का इस्तेमाल भाजपा कर रही है। खुद अपने झगड़े में फंसी भाजपा कैसे चुनाव की चुनौतियों का सामना करेगी, ये सोचनेवाली बात है।

1 comment:

Girindra Nath Jha/ गिरीन्द्र नाथ झा said...

उमा के पैंतरे को सभी समझ चुके हैं। जिस दिन यह चिट्ठी-पत्री की खबर आ रही थी, उस दिन सभी चैनलों ने इसे ब्रेकिंग न्यूज की श्रेणी में ऱखा था।

राजनीतिक हलकों से ज्यादा वास्ता तो नहीं है लेकिन मेरे कुछ दोस्तों का मानना है कि उमा का यह नया पैंतरा शायद कोई लाभ का सौदा साबित नहीं होगा...
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आगे मई का ही इंतजार किया जा सकता है।

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