
कल ४० डिग्री टेंप्रेचर था। अपराह्न तीन बजे जो जोरदार आंधी आयी, तापमान धर से चार-पांच डिग्री गिर गया। लोग यूं ही परेशान थे। गरमी..गरमी.. गरमी कहते हुए। लेकिन अब रात में ठंडी हवा के झोंको ने पंखे को चलाने से भी मना कर दिया। सिर्फ चंद घंटों में हालात बदल जाते हैं।
जिंदगी चलती रहती है। एक जैसी नहीं रहती। कुछ ऐसी बातें हैं कि हर पल कचोटता और परेशान करता है। जब जिंदगी एक जैसी नहीं रहती, कोई निश्चित वजूद नहीं है, तो हम मनुष्य सिर्फ बुद्धि के बल पर ये अहंकार जिंदगी को चलाने का क्यों पाल लेते हैं? पटरी पर दौड़ती अच्छी-खासी जिंदगी को बेरहम बना हम खुद अपने लिये रोड़े अटकाते चलते हैं। जिंदगी की तन्हाइयों में कुछ ऐसे ही विचार अक्सर आते हैं कि हमने जिंदगी में क्या पाया, क्या खोया।
ज्यादा दार्शनिक हो लें-तो कहेंगे-क्या ले कर आये थे, क्या ले कर जाओगे, जो हो रहा है, होने दो। चलते रहने दो। अविरल धारा की तरह, बिना रुके। उस धारा को रोकने की कोशिश न करो, जो तुम्हारे नियंत्रण में नहीं है। इसी जिंदगी की हर मिठास को हम चखना चाहते हैं।
अपनी बिटिया को हम बढ़ते देखते हैं। तब हमें अहसास होता है कि हमने जिंदगी का खासा हिस्सा गुजार दिया। अब इनकी बारी है कि ये जिंदगी की हर उस चीज को जानें, जो उन्हें सफलता की मंजिल तक पहुंचायेगी। लेकिन जिंदगी के खास मोड़ पर जाकर हमारी संतानें भी वैसा ही महसूस करेंगी, जैसा हम महसूस करते हैं। यूं ही परेशान बिना हुए जिंदगी की तलाश जारी है।
एक अहम सवाल ये रहता है कि
जिंदगी की खुशियों के लिए कितने पैसे चाहिए?
जिंदगी की खुशियों के लिए कितनी पढ़ाई जरूरी है?
जिंदगी की खुशियों के लिए कैसे दोस्त चाहिए?

1 comment:
कोई कह गया था, मैने पढ़कर नोट करके रख लिया था, काम आता है. आपको भी शायद अच्छा लगे. चाहें तो हिन्दी में कर लिजियेगा:
The Grand essentials of happiness are: something to do, something to love, and something to hope for.और एक:
But what is happiness except the simple harmony between a man and the life he leads?-आशा है मदद मिलेगी. :)
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