Thursday, September 10, 2009
शिक्षा प्रणाली में सुधार और टीचर
बेसिक शिक्षा पद्धति में सुधार की दिशा में कदम बढ़ाते हुए अब डिवीजन के बदले ग्रेडिंग सिस्टम को लागू किया जा रहा है। बढ़िया बात है। कपिल सिब्बल पूरे देश में समान शिक्षा पद्धति को लेकर भी थोड़ा असमंजस में नजर आये। एनडीटीवी पर इंटरव्यू के दौरान उन्होंने इसे लेकर थोड़ी सी हिचकिचाहट दिखायी। लेकिन सवाल ये है कि सीबीएसइ या केंद्रीकृत शिक्षा प्रणाली आखिर कितने हिस्सों को समेट पाती है। बिहार, झारखंड और यूपी के छात्रों को वही बदहाल शिक्षा व्यवस्था से दो-चार होना पड़ रहा है। वैसे में इस पुनरुद्धार की दिशा का विस्तार कैसे किया जाये, ये अहम सवाल है। सिब्बल साहब का ये कहना कि रट्टा प्रणाली से ज्यादा कांसेप्ट को समझने का प्रयास महत्वपूर्ण है, काबिलेतारीफ है। लेकिन इस बदलाव में टीचरों के रोल को क्यों नजरअंदाज किया जा रहा है? पूरे देश में टीचर सेलेक्शन के लिए जो दोहरे मापदंड हैं, उसमें तो एजुकेशन सिस्टम में सुधार की गुंजाईश नहीं दिखती है। महत्वपूर्ण बात टीचरों को भी इस दायरे में समेटने को लेकर है। बिना किसी नुक्ताचीनी के उन्हें भी इस सिस्टम का महत्वपूर्ण हिस्सा मान कर चलना होगा। अब ये सरकार पर निर्भर करता है, वह इसे करती है या नहीं।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
वही तो इस प्रणाली के स्तंभ हैं. आपसे सहमत.
Post a Comment