हमारे समाज में हर बात में तपाक से अपनी राय देनेवालों को तपाकी बोलते हैं। तपाकी यानी तुरत-फुरत कोई राय देनेवाला। हम लोग घनघोर काबिल बननेवालों को भी इसी श्रेणी में रखते हैं। कोई-कोई व्यक्ति आपको हर बात में राय देते मिल जायेंगे। वे बगल के सरदार जी, मिश्रा जी या झा जी कोई भी हों।
ब्लागिंग बिरादरी तो खैर काबिल लोगों से भरी पड़ी है। यहां तो काबिलियत का सेल्फमेड तमगा लिये लोग चलते रहते हैं। तब बात तपाकी, काबिल और हर बात में राय देनेवालों की हो रही है। ऐसे लोगों से लोग भागते रहते हैं। लेकिन सोचिये कि समाज की इतनी सेवा करने और मुफ्त की सलाह देनेवालों को क्या इज्जत नहीं देनी चाहिए? ये एक ऐसा वर्ग है, जो मौत तक अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष करता रहता है।
अर्ज क्या हूं शेर एक भाइयों
काबिल लोगों की कद्र क्या करो?
मुझे दुख होता है, जब ऐसे विशेषग्य काबिल लोगों को दरकिनार कर दिया जाता है। आतंकवाद, उग्रवाद और अन्य मसलों पर जब सलाह की जरूरत होती है, तो थिंक टैंक के तौर पर ऐसे काबिल लोगों की जमात खड़ी की जा सकती है। बिना किसी मेहनत के कई बिंदुओं को आसानी से जमा किया जा सकेगा। आज के फास्ट दौर में कोई भी किसी की राय नहीं सुनता। ऐसे में तपाकी लोग अब अपनी खूबी को भूलने लगे हैं। उनकी क्षमता घटने लगी है।
ये सोचने की बात है कि तपाकी लोग कितनी गहराई से चीजों को महसूस करते हैं। उनके गुणों की कद्र नहीं होती। लोग उन्हें भेजा चाटनेवाला समझ कर उनसे दूरी बनाये रहते हैं। ब्लाग जगत में भी तपाकियों की कमी नहीं है। जिधर नजर घुमाइये मिल जायेंगे एक से एक। सलाह ऐसी कि पूरी सरकार चलाने का सर दर्द उन्हीं का हो।
जब समुद्र में पानी न हो, आकाश में बादल न हों और हवा में लहर न हो, तो भी तपाकियों से इस बारे में राय जानी जा सकती है। तपाकी कौन है, किसे किस लेवल का तपाकी कहेंगे, ये सब भी रिसर्च का एरिया है। बाकी सब बाद में
तपाकियों की कद्र हो, यही गुजारिश है।
Sunday, September 13, 2009
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4 comments:
कद्र तो होना ही चाहिए तपाकियों की..यह भी तो एक हुनर है जनाब!! :)
इस लेख पर अपनी राय सोच समझकर जाहिर करेंगे :)
तपाकी होना ब्लागरी का आवश्यक गुण है।
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