
संगीत की कोई भाषा नहीं होती। बच्चे का किलकारी मारकर रोना भी एक संगीत है। संगीत वह चीज है, जिससे मन गदगद हो जाये। आपका मन एक लय में आ जाये। गुनगुनाना भी एक संगीत है।चूड़ियों की खनखनाहट भी संगीत है। सुर, ताल और अन्य चीजों के हम साधारण लोग जानकार नहीं होते और न ही हममें वे गुण होते हैं, जो महान विभूति जानते हैं। लेकिन तब भी हमारा मन झील के पानी की धार की आवाज सुनकर पुलकित हो जाता है। बच्चा पानी की छपछपाहट में अपनी खुशियां ढूढ़ता है, क्योंकि उस छपछपाहट में भी एक संगीत है।
संगीत के जादुगर लोगों के दिलों पर राज करते हैं। किसी की मीठी आवाज उसकी शख्सियत, उसकी पहचान, उसकी आत्मा की श्रेष्ठता की द्योतक होती है। इसी मीठी आवाज को जब सुर में ढाल कोई दूसरे तक पहुंचाता है, तो जादु सा छा जाता है। मन नाचने को करता है। पैर खुद ब खुद थिरकने लगते हैं। और उस मस्त अंदाज से ही नृत्य भी बनता है। बिना संगीत के नृत्य की कल्पना नहीं हो सकती है। वैसे ही जैसे बिना पहिये की गाड़ी के।
संगीत सुनते हुए काम करना अच्छा लगता है। रूमानी दुनिया की सैर अच्छी लगती है। मन बार-बार इस दुनिया में आना चाहता है। शोर से दूर, मंद-मंद संगीत की स्वर लहरी निद्रा की प्रथम अवस्था में पहुंचाने के लिए काफी होती है।
हम किशोर या रफी के बोल सुनते हैं,तो आज भी लगता है, जैसे वे जिंदगी में हमसफर हों। ये तो उनके उस बोल, उनके संगीत का ही कमाल है। संगीत का जादु नहीं थमनेवाला है। ये चलता रहेगा। जब तक दुनिया में जिंदगी है, लय है।
आप कृष्ण भक्त से कृष्ण का परिचय पाना चाहें, तो उससे कृष्ण के बांसुरी वादन के मिठास की कल्पना करने बोलिये, जवाब मिल जायेगा। भगवान से लेकर शिशु तक हर कोई इस संगीत, सुर और ताल का दीवाना है। दुनिया का हर कोना अपने तरीके से इसे अपनी लय में ढाल लेता है, चाहे वह अफ्रीका हो या अमेरिका। संगीत के लिए हम जैसे लोग क्या कहें, हम तो खुद इसके गुलाम हैं। बस, जीवन के अंतिम क्षणों तक मधुर धमक कानों तक गूंजती रहे।
भगवन में हमें सुनने की शक्ति दी, इसके लिए उसे धन्यवाद। इस अद्oभुत संसार की यात्रा का मौका दिया, इसके लिए धन्यवाद। उसके लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। क्योंकि जब किसी को सुनने की शक्ति से वंचित व्यक्ति को देखता हूं, तो ये महसूस होता है कि भगवन ने उस अमुक व्यक्ति से एक सुनहरा अवसर छीन लिया। काश, हर कोई इस संगीत की दुनिया से वास्ता रखता।
उम्मीद की इसी लौ के साथ इस लेख का यही अंत।
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