Thursday, October 29, 2009
पता नहीं, भूत होते हैं या नहीं
आज-कल मन डरता है। या कहें डर की कल्पना करता है। नेशनल ज्योग्राफिक चैनल में भूतों को लेकर एक कार्यक्रम दिखाया जा रहा था। पता नहीं, भूत होते हैं या नहीं, लेकिन ये कई सवाल खड़े जरूर करता है कि मृत्यु के बाद क्या है या क्या होता है? क्या आपके पास उत्तर है? क्या इसे लेकर किसी के पास कोई प्रमाण हैं। रोज टिकटिक कर गुजरती घड़ी की सुई जीवन के अंत की ओर बढ़ने का संकेत देती है। वैसे में मनुष्य जीवित रहते भूतों की तलाश जारी रखता है। उसका प्रयास रहता है कि जिंदा रहते हुए कम से कम उस दुनिया के बारे में कुछ जाना जाये। रात में लौटते वक्त काफी समय ये उत्सुकता रही कि कुछ दिख जाये, लेकिन कुछ दिखा नहीं। वैसे में तंत्र-मंत्र की दुनिया को लेकर टीवी पर कार्यक्रमों की होड़ देखकर ये पूछने को जी करता है कि इस वजूद के अस्तित्व को कैसे स्वीकार करें? कोई न कोई तो रास्ता होगा या होना चाहिए। लेकिन कुछ नहीं मिलता। हां, मन डरता जरूर है। आखिर ये अनजान डर हमारे मन पर हावी भी क्यों हो जाता है? भूत आयेगा, तो निपट लेंगे। भूतों से अठखेलियां करने को जी चाहता है। जी चाहता है कि कम से कम उनकी छुअन या गुदगुदी को महसूस किया जाये। भूतों में भी कैटगरी जरूर होती होगी। अच्छे या बुरे। वैसे लोग पाप करते हुए भी इतने धार्मिक क्यों हो जाते हैं, उसे भी इसी डर के साये में समझा जा सकता है। ये समझा जा सकता है कि मृत्यु के बाद के जीवन में अपने हिसाब-किताब को दुरुस्त करने के लिए आदमी अभी से लगा रहता है। यानी कि ये भी एक प्रोजेक्ट का हिस्सा है। एक एजेंडा है, जिसके तहत अपनी अभी कर्म कांडों की सेटिंग के सहारे वहां की दुनिया में अपना कमरा बुक करा लिया जाता है। भूत, जिन्न को लेकर किस्से भरे पड़े हैं। इंतजार कीजिए, अमिताभ भी अलादीन के रूप में दिखेंगे जल्द।
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गांव की कहानी, मनोरंजन जी की जुबानी
अमर उजाला में लेख..
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7 comments:
भूत नही होते । यह शरीर कोशिकाओ से बना है और कोशिकाये मर जाने के बाद कुछ नही बचता । जब मनुष्य विज्ञान को अपने जीवन और दिमाग मे उतार लेगा तब यह सोच बनेगी तब तक चालाक लोग ऐसी फिल्मे और धारावाहिक बनाकर कमाई करते रहेंगे ।
इनतजार करते हैं और क्या?
जब भूत ही है वो तो फिर वह वर्तमान हुआ कैसे ?
एक बात मेरी समझ में नहीं आती है .. कि जहां तक शहर या गांव नहीं फैले होते .. वहां भूत रहा करता है .. और जैसे ही कालोनी बस जाती है .. भूत वह जगह छोडकर चले जाते हैं .. जब भूत मनुष्यों से डरते ही हैं .. तो फिर मनुष्यों को भूतों से डरने की क्या आवश्यकता ?
एक भूत का बच्चा रोता हुआ अपनी माँ के पास गया ...माँ देखो ...इन इंसानों को ...कहते है की भूत होते ही नहीं ..
माँ पुचकारते हुए बोली ...बोलने दो ...हम ही कौन सा मानते हैं की इंसान होते हैं ..!!
आप की पोस्ट पढ़ कर हमे भी इस विषय पर कुछ लिखने का विचार बन गया....सो वही लिखेगें....
हमें भी आज तक भूत के दर्शण नहीं हुये ………
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