Monday, November 2, 2009
यदि आज गांधी होते तो क्या करते?
चुनावी उठा-पटक के बीच जब कोड़ा के करोड़ों रुपए पर चर्चा जोरों पर थी, तो कुछ यूं ही ये ख्याल आया कि यदि आज गांधी होते तो कैसे रिएक्ट करते, कैसे, ये अहम सवाल है? गांधी गये, लेकिन गांधीगिरि सीखा गये। अहिंसा के सहारे दुश्मन को हराने का तरीका सीखा गये। लेकिन यहां जो बिना हिंसा किये, करोड़ों के वारे-न्यारे भाई लोग कर दे रहे हैं, सेटिंग-गेटिंग के साथ, उसमें गांधी जी क्या करते? आखिर उनसे देश के लिए क्या मांगते। राज्य को खखोर लेने की प्रवृत्ति ने इस झारखंड राज्य को गर्त में धकेल दिया है। मन करता है कि विलाप करें, विलाप करें, झारखंड जैसे खनिज संपद से भरपूर राज्य के डूब जाने का। एक आदमी को खाने के लिए जितना चाहिए, उससे ज्यादा अनाप-शनाप तरीके से कमाने की इच्छा जो न कराए। फिर वही सवाल, गांधी होते तो क्या करते? कैसे इन पॉलिटिशियनों को मनाते कि भाई साहब, कुछ तो आप त्याग कीजिए। कुछ दिन पहले एक सज्जन से चर्चा हो रही थी, तो उनसे कहा-अरे इन नक्सलियों के खिलाफ आप बोलिये, उन्होंने सीधे तौर पर सवाल दागा-बोलेंगे, लेकिन हमारी सुरक्षा की जिम्मेवारी कौन लेगा? ऐसे विचार सुनने को मिलता है, तो फिर वही बात कि आज गांधी होते तो क्या करते? गांधी नक्सलियों की हिंसा का जवाब कैसे देते? नक्सलियों की हिंसा कैसे निपटते? बगल के पाकिस्तान को कैसे बताते कि भाई साहब, ये तरीका ठीक नहीं है। कुछ तो रहम करिए। करोड़ों का खेल करनेवाला कॉरपोरेट सेक्टर को कैसे बताते कि गांव-देहात को नजरअंदाज कर शहर की दुनिया को सिर्फ रौशनी से मत नहाओ। कैसे कन्विंस करते कि ये बात गलत है? ये बातें अक्सर उठती हैं? कभी-कभी लगता है कि गांधी और भगत सिहं में कौन सही थे। एक पूरे सिस्टम को प्रभावित करनेवाला और मन पर राज करनेवाला व्यक्ति आज क्यों नहीं पैदा होता? आज सुभाष, विवेकानंद जैसे ऊर्जा से भरपूर लोग क्यों नहीं मिलते? जिनके पीछे पूरी दुनिया चले। सवाल एक ही है कि आज की परिस्थिति में गांधी होते तो क्या करते? ये ऐसा सवाल है, जिससे सवाल खुद निकलता रहता है गोली की माफिक। एक सवाल और कि आज कोई एक ऐसा शख्स क्यों नहीं पैदा होता, तो जो रौशनी दिखाये और जिसके पीछे पूरी दुनिया चले। काफी बड़ा मसला है, शायद भाषणबाजी से अलग।
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1 comment:
शायद आमरण अनशन करते......सब को सुधरने के लिए कहते.....लेकिन लोग मानते इस मे अब संशय है.....
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