शुरुआत में घनश्याम जी ने जब ब्लाग के बारे में बताया था, तो जाने-अनजाने टिपियाने लगा। फिर कुछ रुक-रुक कर कदम बढ़ते गए। अब दो दिन पहले रवींद्र प्रभात जी ने जब सालभर का लेखा-जोखा रखते हुए मुद्दों पर आधारित ब्लाग में हमें सातवें पायदान पर रखा, तो ये बातें सुनिश्चित हो गयी कि कोई गंभीरतापूर्वक हमें देख या पढ़ रहा है। इस एक चीज से एक बात स्पष्ट हो गयी है कि ब्लागिंग की धार अब कमतर होने नहीं जा रही है। रवींद्र जी ने जो मोती चुनने के प्रयास किए हैं, वह काबिलेतारीफ है। एक सजग पाठक और विश्लेषक के तौर पर किसी बात को प्रस्तुत करना काफी रिसर्च मांगता है, जो उन्होंने किया है। हम जब ब्लागिंग में शुरुआती दौर में थे, तो दो-एक लोगों में ज्ञानदत्त जी के कमेंट्स हमें प्रोत्साहन देते थे। उस समय बमुश्किल एक या दो कमेंट्स मिला करते थे, उसमें उनके रोज आते कमेंट्स ये अहसास दिला जाते थे कि लिखना चाहिए,किसी को अच्छा लग रहा है। ये अच्छा लगना काफी कुछ दे जाता है। थोड़ा-थोड़ा करते ये डेढ़ साल बीत गया। ब्लागियाने में मजा आने लगा। सौभाग्य से इधर-उधर अखबारों में ब्लाग कोना के बहाने छप भी जा रहे हैं। वैसे ही पाबला जी की रचनात्मकता उनके अखबार में प्रकाशित होनेवाली रचनाओं को सहेजनेवाले ब्लाग में नजर आती है। उसी के बहाने ये पता चल जाता है कि हम भी अमुक जगह छप गए। उनका लिंक डालकर तो ब्लाग को और चकचका लिये ही हैं। उन्हें भी इस सराहनीय प्रयास के लिए धन्यवाद और शत-शत नमन।
ब्लाग जगत में जिस तरह की रचनात्मकता देखने को मिल रही है, उसमें एक चीज स्पष्ट है कि ये किसी भी आंदोलन से कम नहीं है। बिना किसी लोभ या पाने की लालसा लिये एक मंच का निर्माण करने की ओर योगदान देना जादु की तरह काम कर रहा है। गुटबाजी होती होगी। हमने भी शुरुआत में कुछ ऐसे ही विरोध में पोस्ट लिखे भी, लेकिन बाद में लगा कि अपनी बातें भरोसे के साथ रखते जाना ही अहम है। ये अहम नहीं है कि आपके अहं की कितनी तुष्टि हुई है। ये सोचना कि हर व्यक्ति की अपनी शैली है, हर व्यक्ति अच्छा है, शायद रचनात्मकता को बढ़ावा देता है। ऐसे में ही विनीत जैसा एक साथी भी मिला, जिससे कि समाज और मीडिया की दशा, दिशा को समझने का मौका मिला है। आशा है कि २०१० में इस रचनात्मकता और सकारात्मक ऊर्जा को और बढ़ावा मिलेगा।
Thursday, December 24, 2009
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7 comments:
कई पाठक ऐसे भी होते है जिन्हे पढ़ना ज़्यादा अच्छा लगता है और टिप्पणी देना भूल जाते है..पर हमारी निरीक्षण तो हो ही जाती है..बढ़िया प्रसंग..आभार
बहुत बहुत बधाई आपको .. उम्मीद है और अच्छा लिखते रहेंगे आप!!
ब्लाग बहुत सशक्त माध्यम है. टीवी चैनल और अखबार सभी ने ब्लाग बना लिये हैं और बड़े-बड़े जिनमें तथाकथित भी हैं, ब्लाग का सहारा ले रहे हैं.
बहुत बधाई..निश्चित ही २०१० से बहुत आशायें हैं. शुभकामनाएँ.
आप सबको नए साल की बधाई और शुभकामनाएं...
हम भी तो आप सभी से सीख रहे हैं .......!!
शुभकामनाएं!!
रवीन्द्र जी वाकई महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं, और एक आश्वस्ति बनती है इससे ।
आपकी आशा में हमारा आश्वस्त भाव भी शामिल है । आभार ।
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