Sunday, February 21, 2010

विनीत, जो हमें राह दिखाता है...



शुरू में फेसबुक पर एक दोस्त बनाया, नाम था विनीत कुमार। यूं ही बस फेसबुक पर जुड़े अन्य दोस्तों की तरह मित्रवत बातचीत होती रहती थी। उनके स्टेटस पर हमारे कमेंट और हमारे स्टेटस पर उनके कमेंट। फिर पता चला, जमशेदपुर के हैं। और बतौर रिसर्च स्कॉलर दिल्ली विवि में हैं। शुरू में कहें, तो विनीत का स्टेटस उतना रोमांचित नहीं करता था, लेकिन मीडिया के विश्लेषक के तौर पर उसके पोस्ट और कमेंट जेहन में तेज धार की तरह उतरते चले गए।

आशा किरण होम पर उसकी पोस्ट मुझे दूसरी अन्य पोस्टों से काफी अलग हटकर लगी। मैंने अपने कमेंट्स दिये कि विनीत पहली बार आप एक ब्लागर की तरह नहीं, बल्कि एक पत्रकार की तरह तथ्यों के साथ चीजों को रख रहे हैं

मीडिया के क्षेत्र से जुड़ा रहने के कारण उनकी पोस्ट हमेशा खींचती है।

विनीत इसके अलावा एक शानदार और सहज व्यक्तित्व का मालिक है। जब भी उससे मिलेंगे, तो लगेगा कि आप किसी ऐसे छात्र से बात कर रहे हैं, जिसे दुनिया की हर चीज को जानने की इच्छा है। बातों को मुद्दों और तर्क के जरिये समझाने की चेष्टा आपको एक ऐसे व्यक्तित्व का दर्शन करा जाएगी, जिससे आप बार-बार मिलना चाहेंगे। हमें याद आता है, विनीत को लेकर रांची के मेन रोड पर गुजरते समय अचानक एक चाट दुकान की ओर रुख कर देना। बस इसलिए कि उसने चाट दुकान का नाम आत्मनिर्भर चाट दुकान रखा था। विनीत ने उस शीर्षक के पीछे की सारी कहानी जानी और उसे पोस्ट के रूप में बाद में डाला भी। हम जैसे मीडिया के लोग जो बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, वे अपने आसपास बिखरी खबरों से अनजान रहते हैं, ये मैंने उसकी उस पहल में पाया

आज-कल ऐसे लोग बनने बंद हो गये हैं, जो सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई और अध्ययन, जानकारी की बातें करें। विनीत में आप वह सब पाएंगे। विनीत चाहें, तो एक सफल अधिकारी भी बन सकते हैं या और कुछ भी, लेकिन शिक्षा के प्रति उनकी निष्ठा की बातें मन को छू जाती हैं।

ब्लागिंग की दुनिया में भी विनीत एक ऐसे ब्लागर के रूप में स्थापित हैं, जो अपनी बात ठोंक-बजाकर कहनेवाले हैं। वे कहते हैं, तो दम के साथ कहते हैं। हमने आज तक किसी ब्लागर के ऊपर अपने निजी पोस्ट नहीं डाले, लेकिन विनीत का व्यक्तित्व कुछ ऐसा कर जाता है कि मन कहता है, लिख दो। वैसे टीवी कार्यक्रमों के एक शानदार क्रिटिक विनीत की बातें आपको मनोरंजन और समाचार की दुनिया की अंतहीन सैर करा जाती है।
एक शब्द में कहें, तो विनीत एक अनोखे व्यक्तित्व के स्वामी हैं, शानदार..

7 comments:

सुशील छौक्कर said...

सच कहते हो जी। निराले से है विनीत। हर एक मुलाकात के बाद दूसरी मुलाकात का मन करता है।

सत्यानन्द निरुपम said...

sahi kaha hai. kabhi-kabhi lagta hai, 'vineet' hona aasan nahin. lekin sachchai to yahi hai ki vineet jaiso ki bahut jyada jarurat hai.

Girindra Nath Jha/ गिरीन्द्र नाथ झा said...

इसी खूबी की वजह से विनीत यहां दिल्ली में हम सभी के लिए खास महत्व रखते हैं। उनकी सबसे बड़ी खूबी उनका विश्लेषण करने का अंदाज है। मैं उन्हें समालोचक कहना पसंद करूंगा।

L.Goswami said...

मैं उनकी धुवाधार रिपोर्टिंग और विश्लेषक दृष्टी की फैन हूँ...जानकर अच्छा लगा की वो भी झारखण्ड के हैं.

PD said...

इनसे एक ही बार बात हुई है.. फोन पर.. लगभग २-३ महीने पहले.. लगा ही नहीं था कि किसी से पहली बार बातें हो रही है.. एक-डेढ़ घंटा कैसे निकल गया था पता ही नहीं चला था..

प्रवीण त्रिवेदी said...

इलाहबाद ब्लोग्गर संगोष्ठी में सुन चुका हूँ .....शायद अपने निश्चित मुद्दे में सीमित रहते हुए व्यवस्थित ढंग से अपनी बात कहने वाले दो व्यक्ति ही अपने को वहां समझ आये थे
१-मसिजीवी
२-विनीत कुमार

बेहतर समालोचनात्मक शक्ति के साथ हमेशा सीखने को तैयार रहने वाले विद्यार्थी सा स्वभाव !

कृष्ण मुरारी प्रसाद said...

विनीत को तो आप लोग बहुत कम समय से जानते होंगे.उसका मामा होने के कारण मैं उसे बचपन से फोलो कर रहा हूँ.उसके बारे में मैं दुष्यंत कुमार की पंक्तियाँ याद करता हूँ--
"सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए .
मेरे दिल न सही तो तेरे दिल में ही सही,
हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए."

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