आजादी के जंग में नरम दल गरम बने। दोनों का उद्देश्य एक था आजादी। यहां भी नरम और गरम दल हैं। कुछ आक्रामक हैं, तो कुछ दुनियादारी के हिसाब से बातें करनेवाले। हम किसमें हैं, ये आप तय करें। हम तो ये मानते हैं कि हम आपके दोस्त हैं। आप हमारे साथ विचारों की साझेदारी करते हैं, कुछ हो सकती है कि खराब लगे, तो कुछ ठीक। जिंदगी, वैसे भी सौ फीसदी अपनी नहीं होती। उसमें दूसरों की पसंद या नापसंद भी होती है। हम तो कहते हैं कि कम्युनिकेशन होना चाहिए। सब कोई अच्छा है। आप लिखते हैं-सौ फीसदी ऊर्जा लगाते हैं।
हम तो चूहा-बिल्ली खेल के माहिर हैं नहीं कि कहीं किसी कोने से वार करें। सामने आकर जो कहना हो, कह देते हैं। मन कहता है कि कह दो, और कह देते हैं।
यकीं मानिये हम आपके दोस्त हैं..
दस कदम चलेंगे साथ
देंगे हर कदम पर साथ
होगी जब भी कोई मुश्किल
हाथ पकड़ संभालेंगे आपको
दोस्त वही है, जो बुरा को बुरा और अच्छा को अच्छा कहे। चिकनी चुपड़ी बातों से क्या भला होगा। हमारा दिल मानता है कि आपको अगर मन में ठेस पहुंची है, तो चाय के प्याले के साथ गिले शिकवे दूर कर लेंगे। रास्ते कितने भी खराब हों, बतियाते दूरिया निपट लेंगे। राहें कितनी भी मुश्किलों से भरी हो, हर मुश्किल से टकरा लेंगे।
यकीं मानिये हम आपके दोस्त हैं...
कभी मुश्किलों में पड़ें और हमें याद करें और उस ऊपरवाले की कसम, कभी मदद को हाथ आगे नहीं बढ़ाया, तो दोस्ती के नाम को हमेशा के लिए मिटा देना (थोड़ा ज्यादा हो गया)। प्रयास यही है कि संबंध न बिगड़े और न बिगड़े अपनी बात। जमी रहे हमेशा यारी, नहीं खोएं अपनी होशियारी।
Wednesday, February 24, 2010
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2 comments:
दोस्त वही है, जो बुरा को बुरा और अच्छा को अच्छा कहे-बिल्कुल सही कहा!
अब क्या मानेंगे
हम तो पहले से
दिल से माने बै
ठे हैं
आपको दिल में समाए
खुशी से ऐंठे हैं
आपके जैसे हों दोस्त
फिर फीके लगते पेठे हैं।
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