Saturday, March 6, 2010

बेनामी महाराज, कोने से छुपकर वार ना करो...

एक बेनामी महाराज हमारे हम लोगों की दुनिया वाले ब्लाग पर हमें चेताने आये थे कि हमें दो महीने भी ब्लागिंग करते हुए नहीं हुए और हम फिर से जो-सो लिख दे रहे हैं। हमें मौलिक लिखने का उपदेश दिया जा रहा है। मैं अब हम लोगों की दुनियावाले ब्लाग परबेनामी का आप्शन खत्म करने का जा रहा हूं। ये जो भी बेनामी महाराज हों, इन्हें न तो किसी भी बात को रखने की तमीज है और न ही कोई बात कहने की। बेनामी महाराज मैं दो साल से ब्लागिंग कर रहा हूं और अगर इतिहास उठाना हो, तो मेरे इस ब्लाग के आर्काइव को देख सकते हो। कोने से छुपकर वार करने की हिमाकत न करो। अगर कुछ कहना है, तो सामने आकर कहो। वैसे गपशप पर भी बेनामी आप्शन बंद नहीं है। इससे ये तो पता चल जाएगा कि  कब से ब्लागिंग कर रहा हूं।

5 comments:

Anonymous said...

main nhee janata tha ki tum itne purane blagar ho ,abhee kitnee post aur likhoge miya.meree ek nek slah hai ki kuchh achha likho aur sachha likho ,bhai mere.
main kitnee bar smjhaunga,itna samay nhee hai na,aap bkwas kyun likhte ho .

श्यामल सुमन said...

प्रसंग दुखद है।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

Arvind Mishra said...

आज दर्द हो रहा है उस दिन तो बहुत प्यारे लग रहे थे

बेनामी said...

आप पत्रकार हैं। गम्भीर लेखन की आप से अपेक्षा है। बात मिलती जुलती है इसलिए मुझे भी वही बेनामी न समझ लीजिएगा ।

Anonymous said...

AAP BADHIYA LIKHE YHEE HM SABHEE CHAHTE HAI.

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