ब्लागिंग कर गया बंटाधार
लाइफ हो गया है बेकार
नर-नारी की लड़ाई में
प्यार जली कड़ाही में
विवादों का ये जो है सिलसिला
कब रुकेगा, हमें बता दो भला
खोपड़ी में दर्द घुस गियेला है
चक्कर से दम निकल रियेला है
हमको न नारी से है मतलब
न नर से है गफलत
हमको दे दे अच्छा पोस्ट भैया
अगर चाहो, तो ले लो एक रुपया
हाथ जोड़ कर विनती है
नहीं हमारे कोई सुनती है..
भाषा गया कचड़ा बिनने
चलो ऐसे ही टिपियाओ सबने
सब मस्त रहो
कभी न पस्त रहो
ब्लागिंग करो असली
जब मन जैसे हो, बजाओ डफली
ब्लागिंग जिंदाबाद
(विवाद बंद हो गया हो, तो समझें कविता का असर हुआ है..)
Tuesday, March 9, 2010
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गांव की कहानी, मनोरंजन जी की जुबानी
अमर उजाला में लेख..
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4 comments:
चलो ऐसे ही टिपियाओ सबने
सब मस्त रहो
कभी न पस्त रहो
ब्लागिंग करो असली
जब मन जैसे हो, बजाओ डफली
ब्लागिंग जिंदाबाद !!
विवाद बंद हो गया है !!
लगता है थके-हरे का लिखा है...अच्छा है...रिलैक्स मुद्रा में हैं....इसीलिये आपने इ-मेल में भी केवल तीन चार शब्द ही लिखा..अच्छा हूँ...
चलिये बढ़िया है, थोड़ी देर आराम किया जाये.
बढ़िया है...
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