राखी की नाइंसाफी के काफी चर्चे हैं. उनकी टिप्पणियां जानलेवा हैं. बिग बास में पामेला साहिबा आयीं. यानी कि फंडा वही कि वो सब चीजें करो, जिससे मार्केट में टीआरपी बढ़े. नौटंकी कराने के लिए दो बार निकाह या शादी भी करा दो. हमें ये बात समझ में नहीं आती है कि किसी धारावाहिक या प्रोग्राम में किसी भी मामले के जजमेंट का अधिकार कोई राखी या अन्य कोई नामचीन व्यक्ति कैसे कर सकता है.
पारिवारिक रिश्ते नाजुक होते हैं. उनके मामले सार्वजनिक स्तर पर चर्चा के विषय नहीं हो सकते. आखिर राखी सावंत को परिवार के हिसाब से क्या और कैसा अनुभव है कि उन्हें किसी भी मामले में इंसाफ करने की इजाजत दी जाए. उनके द्वारा नामर्द कहने के बाद एक व्यक्ति ने जान दे दी, ऐसा कहा जा रहा है. अब केस भी हो गया.
हमें लगता है कि इलेक्ट्रानिक मीडिया अपनी हदों को इस मायने में पार कर रहा है. देश में एक कोर्ट जैसा सिस्टम है, जो फैसला देता है. कम से कम यहां पूरे देश के सामने इज्जत नहीं उछाली जाती. लेकिन राखी जी को किसी को खुलेआम बेइज्जत करने की इजाजत दे दी गयी. ऐसे प्रोग्राम को तो शुरू करने से पहले ही बैन कर देनी चाहिए.
कई लोग सेंसर कानून को यहां भी लागू करने का विरोध करते हैं. लेकिन हमें ये समझना होगा कि नग्नता और गाली में जमीन-आसमान का अंतर होता है. हर आदमी अपने बाथरूम में नंगा होता है. लेकिन उसी नग्नता को जब वाणी के सहारे किसी के मुंह पर प्रकट किया जाता है, तो वह गाली समान लगता है. किसी के दिल पर सीधे चोट करनेवाले शब्द ज्यादा खतरनाक हैं. वैसे भी अपनी हरकतों के लिए राखी ज्यादा प्रसिद्ध हैं. ऐसे में उनके नजरिये से किसी का पारिवारिक मसला कैसे सुलझेगा, ये सोचनेवाली बात है.
समाज की आत्मा को मारनेवाली इन पहलों का विरोध करना चाहिए. हमें हमेशा ये सोचना होगा कि माडर्न या आधुनिक होने के नाम पर जिस नंगई या भाषाई अशिष्टता को हम परोस रहे हैं, वो कहां तक उचित है. हम तो यही कहेंगे बैन राखी का इंसाफ.
Thursday, November 18, 2010
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4 comments:
भारत में सबकुछ जायज है..
नौटंकी का टेलीविजनीय अवतरण।
हमे पता नही हमने तो बरसों से टी वी नही देखा है ।
aisa to hona hi tha.. shaadishuda ki fir se shaadi karwa di, or bhi pata nahi kya kya..
anyways nice blog..
mere blog par bhi kabhi aaiye waqt nikal kar..
Lyrics Mantra
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