२६ जनवरी के दिन आज कुछ-कुछ नास्टैलजिया का प्रभाव दिखने सा लगा है. सुबह टीवी चैनल पर दिल्ली से २६ जनवरी के समारोह का जीवंत प्रसारण जारी था. रात के १२ बजे से ही देशभक्ति फिल्मों का दौर जारी था. और दिन में जी सिनेमा पर पिपली लाइव चल रहा था. यानी २६ जनवरी पूरे शबाब पर था. लेकिन भाई कल से तो २७ जनवरी से देशभक्ति की रेटिंग फिर से कम हो जाएगी और हम लोग की दुनियादारी उसी करप्ट हो चुकी प्रैक्टिल लाइफ में लौट जाएगी. पहले के ५० सालों तक हमें और हमारी पीढ़ी को ईमानदारी और देशभक्ति का सबसे ज्यादा पाठ पढ़ाया गया, लेकिन हम और हमारी सोसाइटी इतनी करप्ट हो गयी है कि आदर्श नाम से बनायी गयी बिल्डिंग को भी चुल्लू भर पानी में डूबना होगा. करप्शन में भी अब ईमानदारी दिखती है. झारखंड जैसे राज्य में राम टोप्पो नामक १४ साल का आदिवासी लड़का बोन कैंसर से पीड़ित है. खाने के लिए पैसे नहीं हैं. उस राज्य, जिसका आदिवासी के नाम पर ही निर्माण किया गया था, की सरकार को कुछ पता नहीं होता. वहां की सरकार राम टोप्पो जैसे गरीब और असहाय हो चुके आदिवासी के लिए कोई पहल नहीं करती. जो मीडिया लगातार फिल्मों की क्लिपिंग दिखा कर देशभक्ति को ग्लैमरस बनाने का प्रयास कर रहा है, उसे धिक्कारने का मन करता है. बचपन में भगत सिंह के जज्बातों के बारे में पढ़कर हमारे मन में एक अजब सी हुक उठती थी, लेकिन आज न वे सारे जज्बात ठंडे हो गए. हमारा देश करप्शन मामले में दुनिया में टाप पर है. एक-एक खेल आयोजन में खेल के नाम पर करोड़ों डकारे जा रहे हैं, गणतंत्र के मायने को कोई जानने और सुननेवाला नहीं है. हजारों कुर्बानियों का हम सारे लोग जो बेड़ा गर्क करने में लगे हैं. आखिर हम सुधरेंगे भी तो कब?
Wednesday, January 26, 2011
आखिर हम सुधरेंगे भी तो कब?
२६ जनवरी के दिन आज कुछ-कुछ नास्टैलजिया का प्रभाव दिखने सा लगा है. सुबह टीवी चैनल पर दिल्ली से २६ जनवरी के समारोह का जीवंत प्रसारण जारी था. रात के १२ बजे से ही देशभक्ति फिल्मों का दौर जारी था. और दिन में जी सिनेमा पर पिपली लाइव चल रहा था. यानी २६ जनवरी पूरे शबाब पर था. लेकिन भाई कल से तो २७ जनवरी से देशभक्ति की रेटिंग फिर से कम हो जाएगी और हम लोग की दुनियादारी उसी करप्ट हो चुकी प्रैक्टिल लाइफ में लौट जाएगी. पहले के ५० सालों तक हमें और हमारी पीढ़ी को ईमानदारी और देशभक्ति का सबसे ज्यादा पाठ पढ़ाया गया, लेकिन हम और हमारी सोसाइटी इतनी करप्ट हो गयी है कि आदर्श नाम से बनायी गयी बिल्डिंग को भी चुल्लू भर पानी में डूबना होगा. करप्शन में भी अब ईमानदारी दिखती है. झारखंड जैसे राज्य में राम टोप्पो नामक १४ साल का आदिवासी लड़का बोन कैंसर से पीड़ित है. खाने के लिए पैसे नहीं हैं. उस राज्य, जिसका आदिवासी के नाम पर ही निर्माण किया गया था, की सरकार को कुछ पता नहीं होता. वहां की सरकार राम टोप्पो जैसे गरीब और असहाय हो चुके आदिवासी के लिए कोई पहल नहीं करती. जो मीडिया लगातार फिल्मों की क्लिपिंग दिखा कर देशभक्ति को ग्लैमरस बनाने का प्रयास कर रहा है, उसे धिक्कारने का मन करता है. बचपन में भगत सिंह के जज्बातों के बारे में पढ़कर हमारे मन में एक अजब सी हुक उठती थी, लेकिन आज न वे सारे जज्बात ठंडे हो गए. हमारा देश करप्शन मामले में दुनिया में टाप पर है. एक-एक खेल आयोजन में खेल के नाम पर करोड़ों डकारे जा रहे हैं, गणतंत्र के मायने को कोई जानने और सुननेवाला नहीं है. हजारों कुर्बानियों का हम सारे लोग जो बेड़ा गर्क करने में लगे हैं. आखिर हम सुधरेंगे भी तो कब?
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
3 comments:
कम से कम इन दो दिनों में देश पर गर्वानुभूति होती है।
sudharne ki jaroorat hai kya!
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
Post a Comment