कभी जिंदगी से सवाल क्या है? आखिर ये जिंदगी है क्या? इससे आप क्यों इतना प्यार करते हैं? ये जब खत्म होती रहती है, इसकी लौ जब टिमटिमाना कम कर देती है, तो आप छटपटा जाते हैं. किसी भी तरह इसे पाने लेने का जुनून कायम रहता है. आज इस पोस्ट में मैं जिंदगी की बात इसलिए कर रहा हूं कि मैंने लिसा रे का ब्लाग विजिट किया. कई लोगों ने देखा होगा. उसमें बोन कैंसर से इलाज के दौरान लिजा ने अपने संघर्ष को शब्दों में पिरोया है. पिछले दिनों रांची में राम टोप्पो नामक लड़के को बोन कैंसर से पीड़ित होने के कारण तिल-तिल कर मरते देखा. जिंदगी कितनी अहम चीज है, ये उससे पूछिये, जिससे ये छीनी जाती है. मुझे लिजा रे के ब्लाग में उसकी पोस्ट पर आए कमेंट्स पसंद आते हैं. उसमें जिंदगी की कहानी नजर आती है. ब्राजील की कोई लड़की लिजा के ठीक होने की दुआ करती है और अब लिजा ठीक भी हैं. ऐसे ही कोई लिजा को तहे दिल से प्यार करने और उनके बेहतर लिखने की प्रशंसा करता है. शब्दों का जादु छू जाता है. लिजा रे का ब्लाग पढ़िए. उस पर अंतिम पोसट मई २०१० में लिखा गया है. लेकिन इसी बहाने लिजा ने जिंदगी का दस्तावेज लिख डाला है. अद्भुत,सुंदर और हमेशा पढ़ने योग्य.
Monday, February 21, 2011
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गांव की कहानी, मनोरंजन जी की जुबानी
अमर उजाला में लेख..
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1 comment:
ब्लॉग कितना सशक्त माध्यम है, यह डायरी देखकर पता चलता है।
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