Tuesday, July 19, 2011

डोंट बी सेंटीमेंटल. जिधर बहे बयार उधर मुंह करी...रे भायो.

मुझे तुमसे प्यार है. तुम्हारे ख्वाबों से. तुम्हारी चालों से. तुम्हारी बेकरारी. तुम्हारे हरेक करार से. तुम्हारी हर अदा से. तुम्हारी हर वफा से. तुम्हारी कमीनागिरी से. तुम्हारी ईमानदारी से. तुम्हारी वाचालता से. तुम्हारे मौन से. तुम्हारे इजहार से. तुम्हारे खुद के प्यार से,मुझे प्यार है. इस प्यार को धोखा मत देना. क्योंकि अब तक न जाने कितने कमीने इस जालिम को यूं ही बीच मंझधार में छोड़ कर चल चुके हैं. 

जिंदगी की हाय-तौबा की बाढ़ में जब टापू पर फंसा मैं खुद जागता हूं, तो बस तुम ही तुम नजर आते हो. न जाने कहां से किस पल तुम्हारी याद करंट की माफिक जेहन में आ जाती है. मैं तुम्हें याद नहीं करना चाहता. न तुम्हें भूलना ही चाहता हूं. अजीब से कशमकश है. अजीब सी दास्तां है. आज यूं ही फेसबुक पर किसी दोस्त का कमेंट न पाकर लिख डाला..जिसके डेढ़ हजार दोस्त हों और उसे कमेंट न मिले, तो उसे चुल्लू भर पानी में डूब जाना चाहिए. वैसे भी पानी नसीब नहीं. आंसुओं का निकलना भी थम गया है. आप जानते ही हो कि संवेदनशीलता का स्तर शून्य हो चला है.

अब फिर सोचता हूं. मुझे अपने से प्यार है. अपने ख्याबों से. अपनी चालों से. अपनी बेकरारी से. अपने हरेक करार से. अपनी हर अदा से. अपनी हर वफा से. अपनी हर कमीनागिरी से.अपनी हर वाचालता से. अपनी हर कमीनागिरी से. अपने हर मौन से. अपने हर इजहार से.अपने खुद के प्यार से. अब मुझे प्यार है खुद से. सोचता हूं कि ये खुद से प्यार ही ठीक है. किसी को कोई दुख भी नहीं होगा और न किसी के छोड़ने का गम रहेगा. लेकिन ये सोचना शायद टिक नहीं पाएगा. क्योंकि हमारे आसपास जो चिपकू लोग हैं, वो कहीं न कहीं से एक टच करने वाला कमेंट मार ही देंगे और हम ठहरे बावले, तपाकी, कमेंट का जवाब भी दे डालेंगे. ऐसे में कोई कैसे अकेले रह पाएगा. 

इसलिए ये पूरा जो लेख है, आपको भी कंफ्यूज कर दे रहा होगा कि इस साले को खुद को से प्यार है या किसी और से. तो भाई साहब ऐसा है कि आई एम वेरी अपारच्यूनिस्ट पर्सन. जिधर झुका देखता हूं, लुढ़क जाता हूं. प्यार उसी से है, जिससे फायदा मिले. इसलिए डोंट भी सेंटीमेंटल. जिधर बहे बयार उधर मुंह करी...रे भायो.

2 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

जब स्वयं से प्रेम का स्वरूप पता चलता है, औरों से प्रेम स्वाभाविक हो जाता है।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

हर एक के साथ ऐसा सम्भव नहीं हो सकता और मुझे लगता है कि आप के साथ भी नहीं होगा.

Prabhat Gopal Jha's Facebook profile

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

अमर उजाला में लेख..

अमर उजाला में लेख..

हमारे ब्लाग का जिक्र रविश जी की ब्लाग वार्ता में

क्या बात है हुजूर!

Blog Archive