तुम करो तो रास लीला, हम करें तो कैरेक्टर ढीला. रेडी फिल्म का इ बोल हिट है बास. दिल को छू गया. दुनिया को सही होने की नसीहत देते कई मालिक, उस्ताद खुद न जाने कितना तेल से नहा गए हैं, लेकिन दूसरों से उम्मीद करते हैं कि पानी से नहाए. जमाने-जमाने की बात है. अगर किसी वेबसाइट पर किसी सुंदर लड़की की तस्वीर देख ली, तो तुरंत टोक देंगे, तो भाई साहब का मामला गड़बड़ चल रहा है. वहीं खुद जब रोड पर नैनों के तीर चलाते रहेंगे, तो सब कुछ मुआफ रहता है. इ हेकड़ी, इ बदजुबानी अब ज्यादा दिन नहीं चलनेवाला. हमाम में तो सब नंगे रहता है. वैसे ही फेसबुक पर बड़का-बड़का बात करनेवाला भाई लोग असल जिंदगी में चोर टाइप इधर से उधर घूमते रहेगा. कई बंधुवर तो खुद को बुद्धजीवी बताने के लिए खद्दर का कुर्ता धारण कर लेते हैं. लेकिन भाई लोग अपुन को इ झाड़-फासं सूट नहीं करता है. हम जो हैं, सो हैं. बिंदास, मस्त. ना किसी से लोचा, ना किसी से कोई टेंशन, जियो और जीने में विश्वास करते हैं. विश्वास नहीं है, तो मिल कर देख लो. वैसे सलमान भाई के भी हम फैन हैं. उनकी ही तरह अगर मैंने भी एक बार कमिटमेंट कर दी, तो कर दी. कहने का मतलब ये है कि कोई भी बात हम सेंटीमेंटल होकर नहीं करना चाहिए, जज्बाती होकर तो एकदम से नहीं
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गांव की कहानी, मनोरंजन जी की जुबानी
अमर उजाला में लेख..
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2 comments:
अब तो बोस डी के नाम का गाना आ गया दूसरे खान साब की बदौलत.
बात में तो दम है।
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