Sunday, September 21, 2008
इक्वीनोक्स सूर्योदय, अद्भुत, रहस्यमय, आश्चयॆजनक
ऐसा दिखेगा इक्वीनोक्स का सूर्योदय
झारखंड के हजारीबाग प्रमंडलीय मुख्यालय से १९ किमी दूर पंकरी बरवाडीह नामक स्थान में लोग इक्वीनोक्स के सूर्योदय को वी आकार के महापाषाण के बीच से देखेंगे। यह घटना अपने में अद्भुत रहस्यों को समेटे हुए है।
जानकारी के अनुसार २२ सितंबर को अहले सुबह ३.४४ बजे सूयॆ जीरो डिग्री पर आ जायेगा। पहले यह घटना हर साल के २३ सितंबर को होती थी। लेकिन पृथ्वी की घूणॆन गति में कभी कभार परिवतॆन होने से इस वषॆ समदिवारात्रि २३ सितंबर के एक दिन पहले २२ सितंबर को रही है।
जानकारी शुभाशीष दास बताते हैं कि यह महापाषाण आदिवासियों की अति प्राचीन ईसा पूवॆ हजारों वषॆ पुरानी मेगालिथ सभ्यता है। पूरे इंडिया में इसी एकमात्र स्थल की खोज इक्वीनोक्स के लिए हुई है। श्री दास ने इसकी खोज आठ वषॆ पूवॆ की थी। उनके रिसचॆ के मुताबिक वषॆभर में मेगालिथ युग के चार महत्वपूणॆ दिन महाविषुभ २१ माचॆ, समर सोल्सटाइस २१ जून, जलविषुभ २३ सितंबर और विंटर सोल्सटाइस २१ दिसंबर को इक्वीनोक्स के सूर्योदय के दशॆन किये जा सकते हैं। इन दिनों में पंकरी बरवाडीह के वी आकार के महापाषाण के बीच से निश्चित प्वाइंट पर खड़े होकर सूर्योदय के दशॆन किये जा सकते हैं।
श्री दास बताते हैं कि यहां २५००-१५०० ईसा पूवॆ आदिवासियों की उन्नत खगोलीय गणना थी, जो समय के क्रम में विलुप्त हो गयी। महापाषाण के नीचे पूवॆजों के कब्र यानी बेरियल गड़े हैं, जो उनकी आस्था के प्रतीक हैं। इंग्लैंड के स्टोनहैंज, न्यूग्रेंज, कैलेनिस और एववरी में दुनियाभर के खगोलप्रेमी इक्वीनोक्स के नजारे को देखने हर साल जुटते हैं।
साभार- हिन्दुस्तान
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
2 comments:
जानकारी के लिए आभार।
जानकारी के लिए आभार.
Post a Comment