Wednesday, September 24, 2008

उफ ये त्वरित टिप्पणियां, धीरज मांगती है जिम्मेदार पत्रकारिता

दिल्ली मुठभेड़ कोई आम घटना नहीं थी। यहां इस मुठभेड़ ने देश के समाज में हो रहे अंदरूनी परिवतॆनों की पोल खोल कर रख दी। पुलिस इंस्पेक्टर की शहादत भी कोई ऐसी चीज नहीं, जिसे भूला दिया जाये या बातों और बहसों के प्रवाह में बहने के लिए छोड़ दिया जाये।

एक वरिष्ठ पत्रकार ने अपने ब्लॉग में मुठभेड़ का ऐसा चित्रण किया, जैसे वे वहां मौजूद हों। साथ ही बताया कि कश्मीर जैसे हालात मुठभेड़वाले इलाके में देखने को मिले। वैसे यहां बताना लाजिमी है कि वैसी घटनाओं के बाद वैसे भी सिक्यूरिटी कहीं भी बढ़ा ही दी जायेगी, चाहे कश्मीर हो या दिल्ली या साउथ इंडिया का कोई गांव।

एक जिम्मेदार पत्रकारिता थोड़ा धीरज मांगती है। परिस्थितियों की खामियों और विशेषताओं को उजागर करने के लिए थोड़ा समय चाहिए। आज की त्वरित पत्रकारिता ने पत्रकारिता की इस विशेषता को दरकिनार कर इसे उस बेचैन, बदहवास और तत्काल रिजल्टवाले मोड़ पर खड़ाकर दिया है, जहां से पत्रकार खुद निशाने पर आ जाते हैं।


यहां यह बताना जरूरी है कि पुलिस इस सिस्टम का हिस्सा है। पुलिस का आदमी इस सिस्टम के तहत ही काम करता है। किसी भी अपराधी या आतंकवादी से उसकी व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं रहती।


कोई पुलिसवाला जानबूझ कर खुद को मरने के लिए नहीं छोड़ देता है। दिल्ली के उस इलाके में मुठभेड़ हुई, गोलियां चलीं, लेकिन एक इलाका विशेष होने के कारण मुठभेड़ को लेकर सवाल, संदेह, शिकवे और शिकायतों का दौर शुरू हो गया।

सबसे महत्वपूणॆ सवाल यही है कि क्यों ये युवक, जिन्हें उनके मां-बाप ने बड़े शहरों में अपना करियर बनाने भेजा, अपराध की दुनिया की ओर मुड़ गये। ऐसा नहीं कि इन घटनाओं में बेकसूर नहीं फंसते, लेकिन बिना आग के धुआं भी नहीं होता।

इन सवालों से अलग, उस इलाके से अलग यह सवाल पूरा देश कर रहा है, क्यों हमारे बीच के युवक इन हालातों के शिकार हो जा रहे हैं। सवाल खुद में ढूढ़ना होगा। एक जिम्मेदार पत्रकारिता ही उसका रास्ता तय करेगी, यह साफ जाहिर है। इसलिए कम से कम इन घटनाओं पर एकपक्षीय त्वरित टिप्पणियां और ऊपर से किसी खास को गलत कह देना गैर-जिम्मेदाराना ही कहा जायेगा। परिस्थितियों का संतुलित चित्रण जरूरी है।

10 comments:

Unknown said...

बड़े ही सॉफ़्ट शब्दों में लताड़ा है जी आपने… आजकल के चैनलों को तो हंटर लगाना ठीक हो्ता…

Sanjeev said...

प्रतिष्ठित मीडिया कर्मियों की कोई ग्रंथि उन्हें स्वयं को सर्वज्ञ समझने पर मजबूर करती है और बिना पृष्ठभूमि को समझे निष्कर्ष निकालने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देती है। भगवान ऐसे पत्रकारों को सही और गलत में फर्क करने की समझ के साथ-साथ थोड़ा धैर्य भी प्रदान करे।

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

ग़लत, बिल्कुल ग़लत. आजकल जिम्मेदार पत्रकारिता सिर्फ़ टी आर पी मांगती है या सर्कुलेशन मांगती है. इन दोनों ही बातों के लिए सनसनी मांगती है और सनसनी के लिए ऎसी ही बेसर पैर की खबरें मांगती है. जो नहीं दे पाते ख़बरों की दुनिया से बाहर हो जाते हैं. उनकी रोजी-रोटी का जिम्मा आप लेंगे?

Anonymous said...

आलोचना बहुत आसान है और सृजन बहुत मुश्किल। आपकी ये बात सोलह आने सही है कि क्यों हमारे बीच के युवक इन हालातों के शिकार हो जा रहे हैं। सवाल खुद में ढूढ़ना होगा। एक जिम्मेदार पत्रकारिता ही उसका रास्ता तय करेगी, यह साफ जाहिर है। इलेक्‍ट्रानिक मीडिया एक अलग फारमेट में काम करता है और सभी तरह के मीडिया का संचालन बाजार के नियम करते हैं लेकिन फिर भी ये हमारी व्‍यवस्‍था का एक जरूरी और प्रभावशाली यंत्र है।

आशीष कुमार 'अंशु' said...

इष्ट देव सांकृत्यायन जी की बातों से सहमत

Gyan Darpan said...

मेने भी उन पत्रकार महाशय का लेख पढ़ा था , बिल्कुल गैरजिमेदार लिखा है उन्होंने, ऐसे लोगों व चेनलों का सामाजिक बहिस्कार होना चाहिए |

Udan Tashtari said...

आप सही कह रहे हैं ...

वीनस केसरी said...

हमने तो पहले ही बहिस्कार कर दिया है
जब से ब्लोगिंग करने लगे टी वी देखना ही छुट गया

वीनस केसरी

Anonymous said...

मुझे याद आता है बंगाल मे किसी रेडियो जाकी ने गोरखाओ पर कुछ मजाक कर दिया था। उसके विरोध मे पूरा क्षेत्र उठ खडा हुआ। बात सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुँची। ऐसा ही विरोध ऐसे पत्रकारो और देश विरोधी का आम लोगो को करना होगा। ये लोग खाते तो हमारे देश का है पर बकते है दुश्मनो के पक्ष मे। आप यदि चुप रहे तो ये फिर बोलेंगे। इसलिये एक बार ऐसा विरोध दर्ज कराइये हमारे देश मे रहकर विरोधी बाते करने से पहले उनकी रुह काँप जाये। जब तक ऐसा नही करेंगे तब तक ये निर्लज्ज अपना खेल खेलते रहेंगे।


मै इस पत्रकार का फैन रहा हूँ। अब पश्चाताप हो रहा है। इस मुद्दे को उठाने के लिये आपका धन्यवाद।

makrand said...

sir, u said absoulty write
these days tv chanel speaks like
they know every thing about crime which yet to be committed
regards

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