केबुल टीवी के आये जमाना हो चुका। गंगा, यमुना में भी काफी पानी बह चुका है। इन सालों में आम आदमी से लेकर ऊपर के पॉलिटिशयंस तक काफी कुछ झेल चुके हैं। पहले चैनलों में शालीनता का उल्लंघन करने पर कहीं न कहीं से उंगली उठती थी और लोगों का ध्यान उस ओर जाता था। इधर बिग बॉस नामक रिएलिटी शो में बातचीत और व्यवहार में शालीनता का उल्लंघन साफ नजर आता है। लेकिन मजाल है कि कहीं से कोई उफ भी करे। भाई मामला पैसे का है, बिजनेस है, सब चलता है।
पहले एक फिल्म आयी थी-जाने भी दो यारों। उसमें समाज के ऊपर बैठे लोगों में व्याप्त भ्रष्टाचार को रेखांकित किया गया था। बिग बॉस रिएलिटी शो को देखने के बाद लगता है, फिर वही चीज कहना होगा-जाने भी दो यारों। लेकिन भैया-कैसे जाने दें, जब यह हमारे सामने टीवी स्क्रीन पर हो रहा है। ऐसा नहीं है कि ये चैनलों का प्राइवेट अफेयर है, जिसका न कोई विरोध होगा और न कोई टिप्पणी। कम से कम सोशल रिस्पांसिबिलिटी के नाम पर बिग बॉस के घर में रहनेवाले तथाकथित सदस्यों को शालीनता की हदों में बात-व्यवहार करने का निदेॆश तो दिया ही जा सकता है।
आज अगर इस चीज को आप मामूली बात समझ कर दरकिनार करेंगे, तो हो सकता है, इस मामूली बात से मामला अगले साल इतना आगे बढ़ जाये कि हम-आप टीवी स्क्रीन खोलने से पहले दस बार ईश्वर को याद करें। जो भी चीज सावॆजनिक हित में हो, उसे एक खास शालीनता के दायरे में रहना ही उचित है। अगर इन बातों से टीआरपी बढ़ती है, तो हम लोगों को भी इसके प्रति खास नजरिया अपनाना उचित होगा।
Saturday, October 4, 2008
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3 comments:
सच टीआरपी क्या ना कराए, सब इसकी ही माया है। हर बुधवार रात हम इस से ही जूझते हैं। कम होती है तो गुरूवार दफ्तर आने से डरते हैं।
टी आर पी महात्म की एक और कड़ी.
हाजिर है सब कुछ बिकने को।
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