जिंदगी बहुतेरे रंग दिखाती है। इंडिया में क्षेत्रवाद की नयी आंधी में दूर अमेरिका में ओबामा का जीतना एक नये हवा के झोंके की तरह प्रतीत हो रहा है। जब ओबामा यू शुड बिलीव की अपनी उक्ति दोहराते हुए नये संसार के निमाॆण की बात करते हैं, तो उस ताजगी का अहसास होता है, जैसा विवेकानंद के जीशोले भाषणों से होता होगा। आजादी के बाद नेल्सन मंडेला के बाद शायद कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं हुआ है, जो कि इतिहास और भविष्य की अवधारणाओं को पलट देने की क्षमता रखता है।
ओबामा नये भविष्य की बात करते हैं। बात करते हैं, इराक से फौज को बुलाने की और मेज पर बातचीत कर मामले को सलटाने की। इन बातों में दम है। क्योंकि जब अमेरिका जैसा देश मंदी की चपेट में आ जाये और दुनिया में बेरोजगारों की फौज खड़ी हो रही हो, तब ओबामा जैसे शख्सियम भगवान के दूत नजर आते हैं।
शायद इसलिए ओबामा को अमेरिकी जनता ने भारी मतों से जिताया। भारतीय जनमत भी देख ही रहा होगा। लेकिन उस परिपक्वता को पाने के लिए भारतीय जनता को घोर आत्ममंथन के दौर से गुजरना होगा। क्योंकि आज का भारत जो तस्वीर पेश कर रहा है, उसमें सिफॆ दलित, सवणॆ या क्षेत्रवाद की राजनीति कर ये नेता ओबामा जैसी ऊंचाई नहीं छू सकते। व्यापक सोच, दूर दृष्टि और लोगों में विश्वास जगाने की क्षमता इन नेताओं में नहीं। यू शुड बिलीव कहनेवाले नेताओं की यहां कमी है। यहां कोई भी मिट्टी से सोना बनाने की नहीं सोचता, सिफॆ अपनी सोच कर स्वाथॆ की राजनीति करता है। यहीं भारतीय नेता और ओबामा में फकॆ रिफ्लेक्ट होता। नेतागण कम से कम पूवाॆग्रहों से ऊपर उठकर इसे देखने की कोशिश जरूर करें। यही आग्रह भी है।
Saturday, November 8, 2008
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2 comments:
सुंदर विचार | ओबामा की जीत में अमेरिकन युवा और महिलाओं का विशेष महत्त्व है | इन्ही के महत्वपूर्ण वोट से ये क्रांति सम्भव हुयी |
आग्रह उचित है मगर सुनने वाले हैं कहाँ?
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