Monday, November 10, 2008
आतंकवाद को धमॆ से क्यों जोड़ते हो?
आतंकवाद, आतंकवाद....... शब्द सुनते-सुनते कान पक गये। पहले मुसलिम आतंकवाद और अब हिन्दू आतंकवाद। क्या अच्छाई और बुराई को भी धमॆ के नाम पर कैटगराइज क्या जा सकता है। हमने तो कभी ऐसा न सोचा और न पाया। लेकिन मीडिया और नेता इन्हें धमॆ के रंग में रंगकर नये अंदाज में पेश कर रहे हैं। श्याम ने चाकू मारा तो हिन्दू आतंकवाद और अफजल ने चाकू मारा तो मुसलिम आतंकवाद। हद हो गयी। अगर कोई किसी की जान लेता है, तो उसे क्या हम पहले हिन्दू और मुसलमान होने के आधार पर तौलेंगे। कॉमन सेंस कहता है कि ऐसा कभी नहीं करेंगे। लेकिन पूरे देश में आतंकवाद शब्द के साथ खिलवाड़ कर जो कंफ्यूजन पैदा किया जा रहा है, उसका क्या किया जाये। आतंकवाद सीधे तौर पर आतंक पैदा और फैलाने से जुड़ा है। जो भी लोग देश की एकता और अखंडता को डैमेज करते हैं, वे आतंकवादी हैं। इन्हें धमॆ की दृष्टि से देखना गलत है। पहले भी मीडिया ने गलती थी आतंकवाद को वगॆ विशेष से जोड़ कर। वही गलती वह फिर कर रहा है दूसरे वगॆ से जोड़ कर। राजनीति के कुशल खिलाड़ियों ने समीकरणों का जाल बुनने के लिए शब्दों का माया जाल रचा है, उसमें मीडिया भी फंस गया है। जरूरत है कि आतंकवाद शब्द के साथ खिलवाड़ न किया जाये। आतंकवाद को सीधे आतंकवाद और आतंकवादियों को सीधे आतंकवादी कहा जाये।
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4 comments:
पूरे देश में आतंकवाद शब्द के साथ खिलवाड़ कर जो कंफ्यूजन पैदा किया जा रहा है, यह भी आतंक ही है. यह कहना बिल्कुल सही है कि
जरूरत है कि आतंकवाद शब्द के साथ खिलवाड़ न किया जाये।
मीडिया फंसा नहीं है जानबूझकर यह सब कर रहा है । सारा खेल ही हम मूर्खों को उकसाने व बाँटनें का है और दुख की बात है कि हम बँटते जा रहे हैं ।
घुघूती बासूती
यह सही है कि मीडिया फंसा नहीं है जानबूझकर यह सब कर रहा है. कुछ मुसलमान और स्वघोषित हिंदू एवं अन्य बुद्धिजीवी भी ऐसा कर रहे हैं. लगता है ऐसा लिख कर उन्हें एक प्रदूषित मानसिकता से लिप्त आनंद का अनुभव होता है. जो लोग इन में से नहीं हैं उन्हें इन शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए. आतंक को सिर्फ़ आतंक कहा जाय. उस में 'वाद' और 'वादी' जोड़ना भी ठीक नहीं है. आतंक और आतंकी, यह शब्द प्रयोग किए जाने चाहिए. ऐसा करने से कोई धर्म या कोई वर्ग आतंक से नहीं जोड़ा जा सकेगा.
सहमत हूं।
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