Thursday, November 13, 2008

क्या बच्चों की मौत के बाद भी चेतेगी सरकार?

आज १४ नवंबर बाल दिवस है। देशभर के स्कूलों में कायॆक्रम हो रहे होंगे। लेकिन यहां झारखंड में स्कूल बंद हैं और अभिभावकों पर चेहरे पर दुख और हताशा कायम है। कल यानी १३ नवंबर को बेड़ो के एक आवासीय स्कूल के हॉस्टल में जहरीला दूध पीने से पांच बच्चे चल बसे। सभी गरीब परिवार से थे। इसके साथ ही सौ के करीब बच्चे बीमार होकर अस्पताल में भरती हैं। यह स्कूल सरकार के कल्याण विभाग से संचालित है।

आज का अखबार सरकारी लापरवाही के खिलाफ आक्रोश जताते हुए घटना से संबंधित खबरों से भरा है। यह घटना घटी भी तो बाल दिवस के दिन। इसने राज्यभर में शोक की लहर फैला दी है। लापरवाह व्यवस्था और उदासीन सरकार को दोष दें या फिर दुभाॆग्य को, पता नहीं। रांची के रिम्स में देर रात तक अफरा-तफरी की स्थिति रही। वहीं डॉक्टर, नसॆ और मेडिकल छात्र पूरी ताकत से बच्चों का जीवन बचाने में लगे हुए थे। जरूरी है कि हादसे के कारणों की पूरी जांच हो।

मृत बच्चों के सीखने की जज्बे की झलक अखबार में छपी एक रिपोटॆ से मिलती है। यह इस प्रकार है।

रिम्स में विषाक्त दूध पीने से मृत सिकंदर की जेब से एक छोटी डायरी तब गिरी, जब उसे कफन ओढ़ाया जा रहा था। सिकंदर ने बड़े जतन से एक कायॆक्रम की रसीद को अधकट्टी की डायरी बना ली थी। यह डायरी कफन ओढ़ाते समय हड़बड़ी में सिकंदर की जेब से गिर गयी। उस वक्त लोगों के उस पर जूते-चप्पल पड़ रहे थे। डायरी में कुछ अंगरेजी के शब्द सिकंदर ने याद करने के लिए लिख रखे थे। उसने लिखा था-हेलो, वेलडन आदि।

हम उस बच्चे के सीखने की ललक को सलाम करते हैं। यह बच्चा भी शायद आगे चलकर देश की बागडोर थामने में आगे होता, लेकिन लापरवाह व्यवस्था ने उसे समय से पहले डंस लिया।

कम से कम नौनिहालों के जीवन की सुरक्षा सरकार सुनिश्चित जरूर करे।

3 comments:

संगीता पुरी said...

बहुत ही दुखद समाचार है। वह भी बाल दिवस के ठीक पहले।

Dr.Bhawna Kunwar said...

आँखे नम हो गई ..इस घटना को पढ़कर... इतनी लापरवाही...

Anonymous said...

sikandar ki maut bhi ek ghatna ban kar na reh jaye...kuch aesa zaroor karen.. annu anand

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