
लगातार अपनी काबिलियत में थोड़ा-थोड़ा सुधार करना ही काइजेन है। जापानी समाज में इसका काफी महत्व है। ये सिद्धांत उन्हें बौद्ध धमॆ से मिला है। आज के विशेषग्य भी यही कहते हैं। वे कहते हैं कि अगर रोज आप एक ही विषय पर ध्यान देते हैं, तो वक्त बीतने के साथ आपके सामने उस विषय या समस्या के इतने नये आयाम खुलते जाते हैं कि आपको ये अहसास ही नहीं होता है कि कब आप उस सबजेक्ट के एक्सपटॆ हो गये। हमारे मनीषियों को इस सिद्धांत के बारे में पहले से पता था, इसलिए तो उन्होंने कहावत रची-करत-करत अभ्यास जड़मती होती सुजान।
(ये एक लेख का अंश है, जो मुझे अच्छा लगा, इसलिए इसे अपने ब्लाग पर उतार दिया सबों के लिए)
2 comments:
ise yaad rakhne ke liye bhi baar baar abhiaas karna parega yaad dilaane ke liye shukria
सही बात - इन्क्रीमेण्टल चेन्ज, सतत परिवर्तन ही उत्कृष्टता का मन्त्र है।
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