ये तो पता नहीं, चलाये गये जूते से मिस्टर बुश का कितना बुरा हाल होगा, लेकिन हम ब्लागरों के मन का कवि जाग उठा है। अब अविनाश वाचस्पति जी ने कविता या क्या कहें..... के माध्यम से इतने सवाल पूछ डाले कि जवाब नहीं सुझ रहा। इसके साथ शायद कुछ सलाह भी है। इसलिए आप लोगों के ध्यानाथॆ यहां पेश कर रहा हूं।
जूता जूता न रहा
जुट गया नाम कमाने
चल दिये देखो जांच बैठाने
प्रश्न जिनके जवाब चाहिये
न हों जवाब तो पूछ सकते हैं
आप भी कुछ सवाल
इन सवालों में सलाहें भी हैं
इन्हें अन्यथा न लें
यह तो सबका जन्मसिद्ध अधिकार है -
1. जूता पत्रकार के पैर का था
2. यदि नहीं, तो किसका था
3. जिसका जूता था, वो सौभाग्यशाली रहा या ...
4. जूता किस कंपनी का था
5. जूता कब खरीदा गया
6. जूते का जोड़ीदार कहां है
7. बिना बिल के खरीदा गया
8. बिल कहां है
9. बिल किस दुकान का था
10. जूते ने अपनी बिरादरी का नाम इतिहास में अमर कर दिया
11. जूते ने प्रेरक का काम किया
12. मुहावरों की दुनिया में नये मुहावरे और लोकोक्तियां रची जायेंगी जूताशाली, जूताजुगाड़ वगैरह
13. नये फिल्मी गाने और पैरोडियां लिखी जायेंगी - बुश को जूता क्यों मारा ...
, जूता है जूता .....,
14. किस्मत कनैक्शन किसका - बुश का या जूते का ...
15. जूते का एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू लिया जाये ...
16. एक आखिरी - किसी ने यह क्यों नहीं कहा कि बुश को बूट क्यों मारा - बूट को जूता ही क्यों कहा गया जबकि बुश की तुक बूट से मिलती है।
Monday, December 15, 2008
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1 comment:
जूता भी लोग उसे मारना चाहते हैं जिसकी अहमियत होती है। No one kicks a dead dog!
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