आज के अखबार का हेडलाइंस है-सत्यम, झूठम, कोहरामम। मंदी के इस दौर में बड़ी-बड़ी कंपनियों के शीशे के घर धराशायी हो रहे हैं। एक बात साफ है कि मंदी के कहर ने झूठ के परदे के पीछे से चल रही कंपनियों के सच को सामने ला दिया है। सत्यम कंप्यूटर सरविसेज के चेयरमैन रामलिंगा राजू ने कबूला है कि पिछले कई सालों से सत्यम के मुनाफे को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाता रहा है। यानी एक सफेद झूठ, जिसमें आम आदमी और निवेशक फंसते गये। आम आदमी का पैसा कंपनी के शेयर में फंसता गया।
आज के अखबार में जो छपा, उसके अनुसार सत्यम कंप्यूटर के संस्थापक अध्यक्ष बी रामलिंगा राजू ने कमॆचारियों और शेयरधारकों से क्षमा मांगते हुए कहा है कि वह किसी भी तरह की कानूनी कायॆवाही का सामना करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने अपने इस्तीफे में कंपनी के राजस्व को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने का आरोप लगाया। कहा कि कंपनी के कई मदों में हेराफेरी हुई है। कंपनी के अध्यक्ष होने के नाते उन्होंने जो राजस्व जुटाया, उसका भी कहीं से कोई हिसाब-किताब नहीं है। अपने पद से इस्तीफा देते हुए कंपनी प्रबंधन में गंभीर खामियों और बही खातों में बड़े घोटाले की बात स्वीकारी है।
(साभार- हिन्दुस्तान)
अमेरिका में आरथिक अराजकता और बदहाल स्थिति के उजागर होने के बाद सत्यम जैसी कंपनी में कारपोरेट स्तर पर छायी इस बदहाली के खुलासे ने हम-आप जैसे व्यक्तियों को शायद सकते में डाल दिया होगा। उदारीकरण के नाम पर कंपनियों ने काफी मुनाफे बटोरे हैं। लेकिन शीषॆ स्तर पर इसके हिसाब-किताब की नैतिक जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने का जो सिलसिला शुरू हुआ है, उससे गड़बड़ ही गड़बड़ होता दिख रहा है।
कैसे हुआ घोटाला -
यह घोटाला कई स्तरों पर हुआ और इसमें कई पेचीदगियां थीं। घोटाले का मुख्य उद्देश्य डूबती हुई कंपनी का पैसा दूसरी कंपनी में लगाकर पल्ला झाड़ना था। पिछले एक दशक से कंपनी के खातों में हेराफेरी की जा रही थी। जिस मामले से पूरा घोटाला सामने आया है, वह था रामलिंगा राजू अपने बेटों की कंपनी में बिना डायरेक्टसॆ को विश्वास में लिये पैसे लगाने जा रहे थे। बेटों की कंपनी का नाम था मेटास, जो सत्यम के नाम के विपरीत है। पैसा मेटास इंफ्रा और मेटास प्रापरटीज के खाते में जमा होने के स्थान पर इसके प्रमोटरों के निजी खातों में जमा होना था। ये प्रमोटर राजू के बेटे हैं। दूसरी तिमाही में कंपनी की वास्तविक कमाई २११२ करोड़ रुपये थी, जबकि बैलेंसशीट में इसे बढ़ाकर २७०० करोड़ रुपये दिखाया गया। ऐसे ही कंपनी की वास्तविक आपरेटिंग मारजिन ६१ करोड़ रुपये थी, जबकि बैलेंसशीट में ६४९ करोड़ रुपये दिखाया गया। शेयर बाजार में पिछले दिनों आयी गिरावट के बाद कंपनी के ग्राहकों में अचानक कमी आ गयी थी, जिसके कारण निवेशकों को जोड़े रखने केलिए फरजी बैलेंसशीट बनायी गयी।
(साभार- हिन्दुस्तान)
कैसे, कब, कहां से अब तक का सफर-
सत्यम की शुरुआत काफी मामूली रही। किसान परिवार के बेटे बी रामलिंगा राजू ने १९८७ में इसकी स्थापना की। इसकी स्थापना के पहले राजू कंस्ट्रक्शन और टेक्सटाइल के बिजनेस में थे। उन्होंने २० कमॆचारियों के साथ सत्यम का काम शुरू किया। इस कंपनी में अभी ५० हजार से ज्यादा लोग काम करते हैं। बी रामलिंगा राजू के कंपनी के मुनाफे में फरजीवाड़ा स्वीकारने के बाद से सत्यम को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। वल्डॆ बैंक ने हाल ही में कंपनी के साथ आठ साल का करार खत्म कर लिया है। वहीं कमॆचारी और निदेशक कंपनी छोड़ कर जाने लगे हैं।
(साभार- हिन्दुस्तान)
Wednesday, January 7, 2009
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2 comments:
abhi kal hi shaam madhur bhandaar kar ki corporet...dekhi aur aaj ye ghotaalaa saamne hai ..aaye din ab to mobile par bhi kai lubhavni yojnaayen pesh ki jaati hai...badi kampniyon ke to kyaa kahne...bas ham haay,haay yaa aphsos karne aur sir dhun kar rah jaaten hai,,,
जाने कितने सत्यम हैं।
और इस प्रकरण पर हैरानी भी नहीं हुई हमें खास।
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