Friday, January 2, 2009
क्यों भारतीय फिल्में नहीं पैदा करती हैं रोमांच?
एक सवाल मेरे मन में कौंधता है, आखिर भारतीय फिल्मों में कुछ नयापन क्यों नहीं रहता? आप देखिये, ज्यादातर फिल्में ऐसी होंगी, जो घटनाओं से प्रभावित या उनके इदॆ-गिदॆ रहती हैं। ज्यादातर तो प्यार जैसे विषयवस्तु पर ही बनती हैं। मेरा जो सवाल वह ये है कि क्या भारतीय फिल्म निमाॆताओं के पास ऐसा कोई एंगल नहीं है, जिसके सहारे वो एकदम से नयी चीज हमारे सामने पेश करें, जिससे हम उन मामलों को सोचने के लिए विवश हों। जैसा विदेशी फिल्मों में होता है। हॉरर का मामला हो या रोमांच का उनके विषयवस्तु कल्पना के परे होते हैं। देखने के बाद एहसास होता है कि भारतीय फिल्म जगत तो बस सतह पर दौड़ लगा रहा है। कोई भारतीय फिल्म शायद इसलिए ही आस्कर जैसा पुरस्कार नहीं जीत पायी है। संगीत में तो भारतीय संगीतकारों ने मिसाल कायम की है। उनकी अनोखी शैली की पूरी दुनिया दीवानी है, लेकिन ऐसा भारतीय फिल्मों के साथ नहीं हुआ है। वैसे गजनी की अद्भुत सफलता ने एक अलग कहानी लिखी हैं। देखते हैं, इस साल कोई नयी फिल्म हमारे लिये रोमांच लेकर आती है कि नहीं।
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2 comments:
अरे सर बनती है...लीक से अलग हटकर भी फ़िल्म बनती है..हाँ लकिन उसकी गिनती बहुत कम है......अब उन्हें दर्शक भी तो मिलने चाइये न देखने के लिए.......
ऐसी फिल्में पहले बनतीं थीं, लेकिन ज्यादातर ऐसी की जिसे हम आप "बोरिंग" (आर्टू) पिक्चर कहते हैं| आजकल कुछ लोग जरुर ऐसी फिल्मों पर काम कर रहे हैं, जैसे आमिर| लेकिन पब्लिक को देखिये अभी भी love stories के पीछे पागल है, शाहरुख़ की फिल्में हाथों हाथ बिक जाती है, तारे जमीन पर को आमिर का सहारा होता है|
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