मंदी की मार भारी पड़ी है
रामसेना भी सड़क पर उतर पड़ी है
बेरोजगारों की चिंता नहीं
पर लव मैरिज कराने की फिक्र चल पड़ी है
हर चौक पर बढ़ गयी है भिखारियों की संख्या
लेकिन चैनलों को तो बस अमेरिका की पड़ी है
कौन सा चैनल श्रेष्ठ है
क्या आप बतायेंगे?
अगर आप पत्रकार हैं
तो फिर तुरंत नापे जायेंगे
चिंता नहीं ज्यादा करनी
क्योंकि जिंदगी है ज्यादा जीनी
धीरे-धीरे समय बिताना है
आराम से नया घर बसाना है
दूर कहीं से कोई आयेगा
नाव लेकर पार करायेगा
Friday, February 6, 2009
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गांव की कहानी, मनोरंजन जी की जुबानी
अमर उजाला में लेख..
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6 comments:
बहुत ही सटीक दो टूक बात कही है किसी को इस वर्ग का कोई भी ध्यान नही है ... आभार
चैनल का क्या है - आते जाते रहेंगे। आपका ब्लॉग उन्नति करता रहे।
सही!! सटीक!
protsahan ke lie bahut bahut dhanyawad.
बहुत सही !!!
Sundar Likha..
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