सुना है क्रिकेट का बाजार सज गया है
मंदी का भूत डर के भाग गया है
एक खुशखबरी इसी हेडिंग से आयी थी
रामू काका ने खुश होकर ताली बजायी थी
अब तो वे हर बात पर सपने बुनने लगे
करोड़ों की बात करने लगे
अब देश नहीं, दल को सपोटॆ करने लगे
इंडिया नहीं
किसी और को जिताने को कहने लगे
हम तो भाई रामू काका को देख घबरा रहे हैं
आगे क्या होगा, ये सोच कर चकरा रहे हैं
क्या सचमुच मंदी का भूत भाग गया है
या बस पास की गली में कहीं छुप गया है
पर मामला साफ है
ये तो चेहरे पर छाया लिहाफ है
जल्दी ही टीवी का भूत उतर जायेगा
पेट का चूहा कूद कर सामने आयेगा
तब ये मंदी का भूत जिन्न बनकर डरायेगा
इसलिए बंधु ज्यादा क्रिकेट के बाजार को मत देखो
कुछ दुनिया, कुछ उसकी सोचो
क्योंकि बदलनी है दुनिया जल्दी
समय कम है और काफी है मंदी
थोड़ी मेहनत, थोड़ी जिद
थोड़ा धीरज, थोड़ा प्रेम
रखनी होगी कुछ तो शेम
अब यही बेड़ा पार करायेंगे
और राम से उस पार मिलायेंगे
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