Wednesday, February 11, 2009

क्या विरोध के लिए पिंक चड्ढी के लेवल का उपयोग करना जरूरी है?

पिंक चड्ढी विवाद, तरह-तरह की चरचाएं, कुछ ऐसा कि हर कोई दिलचस्पी ले लेकर बातें करे। मुतालिक साहब को कुछ हो या न हो, लेकिन हमारे उन साथियों को जरूर कुछ हो गया है, जो हर विरोध का गांधीवादी तरीका ढूंढ़ लेते हैं। सवाल पिंक चड्ढी के लेवल के इस्तेमाल का करें, तो थोड़ा विरोध के स्तर को लेकर खटकता है। क्या विरोध के लिए पिंक चड्ढी के लेवल का उपयोग करना जरूरी है?
अब भारतीय संस्कृति के समथॆक जो कुछ कहें, लेकिन उनका इस बात पर आपत्ति उठाना जायज है। जहां तक श्रीराम सेना द्वारा मंगलौर में किये गये व्यवहार का प्रश्न है, तो वह गलत है। उसका कोई समथॆन नहीं करता। लेकिन
क्या पब संस्कृति का पनपना सही है?
पब संस्कृति के बहाने आप युवाओं में कौन सा संस्कार गढ़ना चाहते हैं?
अभिजात्य वगॆ के विचार से अलग होकर हम कब सोचेंगे?
सबसे महत्वपूणॆ सवाल कि हम उन विचारों पर प्रहार क्यों नहीं करते, जिनसे श्रीराम सेना का उद्भव जुड़ा। पिंक चड्ढी अभियान बस भड़ास निकालने का माध्यम हो सकता है। समस्या की जड़ पर प्रहार नहीं।
क्या कोई सुनेगा?

2 comments:

रंजना said...

sahi kaha,poorn sahmat hun.

अक्षत विचार said...

virodh ko publicity bhi tho milni chahiye....

Prabhat Gopal Jha's Facebook profile

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

अमर उजाला में लेख..

अमर उजाला में लेख..

हमारे ब्लाग का जिक्र रविश जी की ब्लाग वार्ता में

क्या बात है हुजूर!

Blog Archive