Saturday, February 21, 2009
आप अपनी रचनाओं का मेल भेजते हैं या हेडेक, बंद करिये सिलसिला
जब पहले इंटरनेट नहीं था, तब कैसे लोग अपनी रचनाएं जबरदस्ती पढ़वाते होंगे। जबरदस्ती रचनाएं पढ़वाने के लिए या तो उन्हें चाय पिलानी पड़ती होगी या घूस में कुछ पैसे देने पड़ते होंगे। यानी झेलवाने के लिए भी पूरे पैसे खर्च करने पड़ते होंगे। लेकिन इंटरनेट में मेल से बिना कुछ खर्च किये अब अपनी रचनाएं पढ़वाने का सिलसिला चालू है। एक महाशय हैं, जिन्होंने अपनी रचनाओं का मेल भेज-भेजकर तबाह कर दिया है।
ये जो चेन इ-मेल भेजते हैं, उसमें सारे लोगों के मेल और जवाब खुद ब खुद सार्वजनिक हो जाते हैं। मेल बेहद निजी मामला है। इसमें अगर कोई जबरदस्ती जानते हुए भी मुंह घुसाता है, तो वह अपराध ही कहलायेगा।
उन महाशय के ब्लाग पर जाइयेगा, तो खुद पता चल जायेगा कि ये कौन हैं..
लेकिन उनसे पीड़ित लोगों के संदेश पढ़िये (चूंकि प्रत्युत्तर में भेजे गये संदेश सार्वजनिक हो जाते हैं,इसलिए इन्हें कॉपी करना आसान हो गया।
अब आप भी पढ़ लिजिये, लोग कैसे और किस तरह तबाह हैं। इस अनचाहे मेल की बरसात से।
Dear All,
I have written earlier also and I am writing in again.. Please stop sending me such mails. Please don't force me to use abusive language. I have done this with one of the spam chain mail, and explaining other people after that.
Please Please get me out of this loop
Thanks
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support ..... in this..Stop spamming my inbox..really nt interested in the crap
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Stop spamming my inbox!!!
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I WOULD LIKE TO INFORM EVERYBODY
THAT IN THE UNITED KINGDOM
IT IS A CYBER CRIME TO EXPOSE OTHER PEOPLE'S EMAIL IDs
BY MAKING THEM PUBLIC.
WE SHOULD NEVER OPENLY WRITE EMAIL IDsTO EVERYBDOY.
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May I please add my voice to the outcry? I too want to be spared these emails
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हे ईश्वर !! ये ई पते का जंजाल है कि जी का जंजाल है……
आप सभी से सादर निवेदन है कि ऐसे हृदयविदारक संदेश न भेजे…
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plz dont send me this type of msg...........
bhagwan ki liye thora to raham karo......
ek din mai itne msg ku karte ho bhai.........
tk care
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क्या महोदय को इसके बाद भी बुद्धि आयेगी?
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6 comments:
इनसे वाकई बहुत परेशानी है भाई.
कोई सुझाये कि इस तरह के ईमेल कैसे ब्लॉक किए जायें.
Mujhe bhi jarur bataiyega...
ummid hai is post ko parne ke baad in mahashay ko hum becharo ke uper thora raham to jarur ana chahiye...
यह शिष्टाचार के विरुद्ध है पर कुछ को समझ में नहीं आता है। मैंने कई दिन तक अपनी ई-मेल वेब ब्राउज़र में चेक की। इस तरह की ई-मेल को स्पैम की श्रैणी में डाल दिया है। यह अन मेरे इनबॉक्स में नहीं आती हैं।
हम तो स्पैम डिब्बे का मुक्त हस्त प्रयोग करते हैं!
अजी क्या बताऎं, अगर मेल बाक्स खोलो तो आधी से ज्यादा मेल इन्ही लोगों की होती है. सचमुच नाक में दम कर दिया है, इन लोगों नें.
मुझे याद आ रहा है कि सिर्फ एक बार मैने किसी सज्जन के ब्लाग पर टिप्पणी की थी. बस तब से लेकर आज तक लगभग 6 महीने होने को आए, दोबारा से उनके ब्लाग के दर्शन किए हुए.लेकिन सिर्फ एक टिप्पणी करने का खामियाजा उनकी रोजाना मेल के जरिए आज तक भुगत रहा हूं.
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