Tuesday, March 31, 2009
तकनीकी क्रांति के इस नये स्वरूप को सलाम।
जिंदगी बार-बार सवाल पूछती है। ये जुमला कई बार लिख चुका हूं। ये बात आप पूछेंगे, तो मैं बताऊंगा, कहां और क्यों। जवाब फेसबुक पर। आप कहेंगे बात-बात पर फेसबुक, फेसबुक, फेसबुक क्यों करते हो? लेकिन एक बात कहने को जी चाहता है कि ये एक अच्छी चीज है। दो पंक्तियां दीवारों पर टांग कर हम-आप रिएक्शन का इंतजार करते हैं। बेहतर रिएक्शन देखने को मिलते हैं। शेखर कपूर जैसे शख्स फेसबुक पर सवाल दागते हैं कि क्या इस देश को एक नया आइडिया चाहिए? सवालों के साथ सवाल दर सवाल उन्हें मिलते हैं। एक बहस का पूरा खाका तैयार हो जाता है। एक द्वंद्व जो लोगों के दिलों में है, उसकी पूरी तस्वीर उभर कर सामने आ जाती है। फेसबुक पर पूरी दुनिया एक हो गयी लगती है। अमेरिका, फ्रांस या इंडिया, विभिन्न देशों के लोग एक सवाल पर मंथन करते अपनी टिप्पणियां देते हैं। हमारा मानना है कि जिंदगी में बड़ी चीजें नहीं, छोटी चीजें महत्वपूर्ण होती हैं। ऐसी ही बात फेसबुक पर नजर आती है। ब्लाग पर हजारों शब्द लिखकर लोगों को नजरिया समझाने की कोशिश होती है, लेकिन फेसबुक चंद शब्दों में आपकी अनुभूतियों को दुनिया के सामने ले आता है। द्वंद्व , भावना और नजरिये के इस गठजोड़ को समझने के लिए आपको इन सोशल नेटवर्किंग साइट्स की प्रणालियों को समझना होगा। जब शुरू में ज्वाइन किया था, तो कोई आकर्षण नहीं था। लेकिन धीरे-धीरे इसके बढ़ते प्रभाव को स्वीकार करना पड़ा। ये मानना पड़ा कि इन सोशल नेटवर्किंग साइटों में कुछ है, जो इन्हें इतना लोकप्रिय बना रही है। तकनीकी क्रांति के इस नये स्वरूप को सलाम।
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2 comments:
आपने अच्छा बताया। मैने कभी फेसबुक को एक्सप्लोर नहीं किया। कर के देखता हूं।
सही कहा ...
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