Friday, April 10, 2009

नेताजी की परेशानी, हम कर रहे दुआ

मीडयावाला होकर राजनीति में दिलचस्पी लेनी शुरू की, तो पता चला नेता जी का बड़ा रुतबा है। हर चीज को नाप-तौल कर बोलते हैं और कहते हैं। हम भी प्लस-माइनस कर उनका गुण बखान करते रहते हैं। लेकिन जब भी वोट देने का समय आता है, तो नेता जी को गिड़गिड़ाते और भविष्य के लिए परेशान देखता हूं।

तब दिल कोसता है-हाय, रे ईश्वर, ये तुने कैसा संसार रचा है, जब लोगों को चैन नहीं। हाय-हाय कर लोग दिन गुजारते हैं। ये देखो, ये बेचारे कितने परेशान हैं? और आप हैं कि कुछ करते नहीं।

नेताजी से पूछ ही डाला-भैया आप इत्ते परेशान क्यों हैं? देखिये, आगे-पीछे कितना लोग है आपके?

नेताजी बोले-बात इसकी नहीं है, बात पब्लिक लोग का है। पब्लिक लोग हमारे बारे में इतना काहे पूछ रहा है। इतना नेता लोग पहले भी तो हुए हैं। हम भी समझ गये नेता जी की परेशानी।
हम मीडियावाले भी बेवकूफ हैं, पहले ही सारा पोल खोल कर रख देते हैं। अब नेता जी हैं कि कोनो सवाल का जवाब नहीं दे पा रहे।


दिल से दुआ निकलती है हर बार
हे ईश्वर कर दो बेड़ा पार
कर दो बेड़ा पार
इन नेता जी का
कर दो बेड़ा पार
तुम्हारा गुण गाते हैं
पांच साल तक भले कुछ नहीं कर पाते हैं

नेता जी क्षेत्र का जमकर दौरा कर रहे हैं। कहते हैं कि इस बार जो काम बीस साल में नहीं हुआ, वह छह महीने में होगा। हमारा भी उत्सुकता उ फार्मूला जानने के लिए होने लगा है, जिससे उ इ भारत को जापान बनाने की बात कर रहे है, उ भी छह महीना में। लेकिन सबसे शार्टकर्ट फार्मूला स्विस बैंक वाला लगता है। एक बार में ही इतना रुपया आ जायेगा कि कोई गांव में अभाव नहीं रहेगा।

लेकिन इसके बाद एक सवाल बार-बार मन में उठता है कि जब इतना पैसा आ जायेगा, तो पब्लिक काहे मेहनत करेगा। जब मेहनत नहीं करेगा, तो देश कैसे चलेगा। इसलिए इस बार इ बात कुछ जंचा नहीं। वैसे पैसा मिल जाये, तो लख-लख बधाई मिलेगी सब लोगों को हमारी ओर से।

अब फिर बात वही है कि नेता जी परेशान क्यूं हैं?

परेशान हैं.. गीत गातें हैं... एक अकेला इस शहहहहर में, रात और दोपहर में .... लाइने भूल गये भैया...

1 comment:

Anil Pusadkar said...

आशियाना ढूंढते हैं॥

Prabhat Gopal Jha's Facebook profile

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

अमर उजाला में लेख..

अमर उजाला में लेख..

हमारे ब्लाग का जिक्र रविश जी की ब्लाग वार्ता में

क्या बात है हुजूर!

Blog Archive