Saturday, April 18, 2009
इस पालिटिक्स की ऐसी की तैसी
पूरे महीने चुनाव के दौरान पालिटिक्स पर लगातार लिखता रहा। यहां तक कि उन सारे मुद्दों पर चर्चा की कोशिश की, जो अनुछए लगे। लेकिन लालू प्रसाद जी के कल की बयानबाजी के बाद कहने को जी करता है-इस पालिटिक्स की ऐसी की तैसी। ऐसी पॉलिटिक्स इस देश को नहीं चाहिए। नेताओं की नेगेटिव बयानबाजी से एक बात तो साफ है कि या तो ये नेता जनता को मूर्ख समझते हैं या फिर उनका घटता आत्मविश्वास उनकी बोली पर से नियंत्रण हटा दे रहा है। बताइये, पांच साल तक लगातार मिलकर सत्ता चलाते रहे और बीजेपी को गरियाते रहे। अब जब चुनाव आ गया और कुछ दिनों के बाद वोटिंग है, तो बाबरी मसजिद को लेकर कांग्रेस को गलत ठहरा रहे हैं। गुलाटी मैनेजमेंट के बादशाह लालू प्रसाद वाकई में मैनेजमेंट गुरु लगते हैं। लेकिन इस बार का उनका शनिचरी बयान कुछ ज्यादा बवाल कर गया है। गलत समय में गलत बयान देकर लालू प्रसाद फंस गये हैं। अब कम से कम बिहार की जनता को ये समझ लेना होगा कि २० सालों से उनकी भावना के साथ सिर्फ खेला जा रहा है। आतंकवाद का मसला हो या चुनाव का, राजनीति के गिरते स्तर ने सबको क्या कहें भौंचका कर दिया है। ये पॉलिटिक्स पॉलिटिक्स नहीं होकर बस एक खेल होकर रह गया है। जिसमें मुद्दों की जगह फिल्मी सितारों का जलवा देखने का मिल रहा है। पूरे चुनाव को तीन घंटे की सिनेमा की तर्ज पर लेने की ये कोशिश कहीं सत्यानाश कर दे। मन बस कहता है-इस पॉलिटिक्स की ऐसी की तैसी...
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1 comment:
जो न कराये पालिटिक्स (पढ़ें - पापी पेट)।
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