
मतदान का पहला चरण खत्म हुआ। चले गये बाजार, सोचा कुछ खाया जाये। खायी भी किया, तो आलू की टिकिया। वैसे आलू खाते-खाते एक कहावत जो लालू प्रसाद जी के सीएम कार्यकाल में प्रचलित थी याद आ गयी-जब तक रहेगा आलू-तब तक है लालू। यानी आलू के अस्तित्व में रहने तक लालू जी का शासन चलता रहेगा। लेकिन हाय रे किस्मत सुशासन बाबू के वायदों की लहर में उनके शासन की नैया डूब गयी। अब तो केंद्र में भी लालू जी का कद छोटा होता नजर आ रहा है।
बड़ी माथापच्ची है इस पालिटिक्स में।
देखिये टीवी पर पट्टी चल रही है कि लालू जी दरभंगा के मनीगाछी में बोल रहे हैं-बाबरी मसजिद गिराने में कांग्रेस का हाथ। ये पॉलिटिक्स जो न कराये। कल तक कांग्रेस के साथ गलबहिया डालनेवाले लालू जी आज उसके खिलाफ नजर आ रहे हैं।
कन्फ्यूजन, कन्फ्यूजन, कन्फ्यूजन, कन्फ्यूजन,
अब इतना सुनने के बाद कुछ अंगरेजी दां लोग बोल उठेंगे यू नो आइ हेट पॉलिटिक्स। बस सर, एस ए जर्नलिस्ट आइ लव पॉलिटिक्स।
तो लालू और आलू में जो संबंध में के बारे में जो भी बातें कही जाती हों।
विकीपीडिया में आलू के बारे में बताया गया है

The potato was introduced to Europe in 1536and subsequently by European mariners to territories and ports throughout the world.
China is now the world's largest potato producing country, and nearly a third of the world's potatoes are harvested in China and India
आलू की दीवानगी ऐसी है कि लोग अब आलू चिप्स खाते हैं। पैकेट खरीदा, खोला और मसालेदार चिप्स पर लगे हाथ साफ करने। दस रुपये में मनमाफिक चिप्स बाजार में मिल जायेंगी। अब ये आप पर है कि आप इन्हें कितना पचा पाते हैं। फास्ट फुड कल्चर पांव पसार रहा है। आलू का बाजारीकरण हो रहा है। आलू आलू नहीं रहा। स्पेशल हो गया है।
अब पॉलिटिक्स में लालू भी स्पेशल हैं। अब देखना ये है कि कांग्रेस के खिलाफ आक्रामकता का उनका ये आगाज है, तो अंजाम कैसा होगा।
जय आलू , जय .....
1 comment:
भारत में सबको लालू और आलू ही आकृष्ट कर रहा है .लालू और आलू की गुत्थी सुलझाना घर फूंक ताली बजाना है . कुछ लिखने को न मिल रहा हो तो आपके लिए एक webpage का एड्रेस लाया हूँ मौका मिले तो हो आइये
http://www.ndtv.com/convergence/ndtv/story.aspx?id=NEWEN20090091082
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