समय-समय पर ब्लाग लेखन को लेकर उठते विवादों ने एक बात साफ कर दिया है कि ब्लाग लेखन अब सिर्फ शौकिया चीज नहीं रह गयी है। अपनी अभिव्यक्ति के लिए ब्लाग से लोगों का जुड़ते जाना एक क्रांति का संकेत करता है। एक विवाद रहता है कि ब्लाग लिखना हमारी निजी अभिव्यक्ति का मामला है, लेकिन ये भी मानिये कि सार्वजनिक स्तर पर लिखी जा रही बातें दस्तावेज बनी रहती हैं।
ब्लाग लेखन ने एक अंदर की छटपटाहट को सामने लाकर रख दिया है। आज अखबार से ज्यादा एंगल ब्लाग पर देखने को मिल रहे हैं। इतने एंगल, इतने टॉपिक हैं कि आप ढूंढ़ते रह जायेंगे। इस विधा में कई ऐसे विवादों को भी जन्म दिया है, जहां स्थापित मीडिया और ब्लाग जगत में एक द्वंद्व का अहसास होने लगता है।
लेकिन ऐसा क्यों है या हो रहा है, इसे लेकर इससे जुड़े पढ़े-लिखे लोगों को सोचना होगा। विवादों के इस बाजारीकरण ने ऐसी दशा और दिशा उत्पन्न कर दी है कि हर मोड़ पर साजिश की बू नजर आती है। हवा का हल्का झोंका भी डरा जाता है। साफ बात ये है कि बिना विवाद किये क्या इस माध्यम को नहीं रखा जा सकता है। ब्लाग, विवाद, चर्चा एक नियम के तौर पर देखे जा रहे हैं। आइपीएल का मामला हो या किसी बड़े नेता द्वारा ब्लाग लिखने का। अब विकसित होते इस माध्यम के विराट रूप को देखकर भय होता जा रहा है। यहां तो हर ब्लागर सिद्धांतों के साथ जंग लड़ता नजर आता है।
कहने को जी करता है...
ब्लागर खड़ा बाजार में
लाठी लिये एक हाथ
मूड किया जब जिसको जैसा
धुने दो-दो हाथ
थोड़ा ऊपर- थोड़ा नीचे
देखना होगा आगे-पीछे
नया माध्यम नया जोश
रखना होगा पूरा होश
देखते हैं
आगे क्या गुल खिलाता है
आम होता है या बस टीवी पर मिरिंडा पिलाता है.
Sunday, May 3, 2009
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3 comments:
बिना विवाद किये क्या इस माध्यम को नहीं रखा जा सकता है।
इस बात के जवाब लिए सभी प्रतीक्षारत हैं गोया ?
भाई मैं तो कह रहा हूँ सामान्य रूप से लोग
अब सहज जीवन से परे होते जा रहे हैं
सभी अपनी सोच की ध्वजा के साथ आगे बढ़
रहे है थोडी उंच नीच हुई की बस "विवाद"
और ग्लोबल वार्मिंग भी तो कोई चीज़ है जी
नहीं भाई।
मीडिया खड़ा बाजार में लाठी उनके हाथ।
जन मीडिया से दूर है ब्लागर के हैं साथ।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
नहीं भाई
ब्लॉगर खड़ा बाजार में
लिए पोस्ट और टिप्पणी साथ
पोस्ट देखी और मारी टिप्पणी
कर लिए कीबोर्ड से दो चार हाथ।
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