Saturday, May 9, 2009

मां मेरे लिये तुम भगवान की मूरत हो


मां मेरे लिये तुम भगवान की मूरत हो
भगवान की मूरत नहीं, तो भगवान जरूर हो
आईने में हर दिन अपना चेहरा देख
याद आता है तुम्हारा दुलार
कैसे तुमने तैयार किया था
पाउडर, तेल पुचकार
बचपन की लोरी
आज भी देती है शहद घोल

कान में दूर कहीं से
आवाज आती है
बस तुम्हारी
उस रोटी खिलाने के लिए आवाज देने की
खाने के हर टुकड़े को तोता, मैना को खिलाने की बात कहने की
मैं नखरे से करता था तुम्हें परेशान
पर तुम हार न मान खिलाती थी पूरी थाली
रुक-रुक कर
स्नेह भरे स्पर्श के साथ
पानी पिलाकर
भरपेट भोजनकर मैं सो जाता
दूसरे दिन उठता
प्यार से तुमसे लिपट जाता

दिन बीतता गया
आज मैं बड़ा हो गया हूं
समझदार या यूं कहें लाचार हो गया हूं
तुमसे बन गयी है दूरी
इसलिए बचपन की लोरी
याद आती है मां थोड़ी-थोड़ी
हर पल, हर जगह
पीछा करती हैं तुम्हारी यादें
मां बस वो तुम्ही हो
जिसकी छाया मेरे मन से करती हैं बातें
मां मेरे लिये तुम भगवान की मूरत हो
भगवान की मूरत नहीं, तो भगवान जरूर हो

2 comments:

Unknown said...

maa ke liye aapki abhivyakti bahut sunder hai....

meri kuch iss trah se hain....


hey maa!tum vyom vishal,
par tum sada mere mann ke dhratal par....

hey maa!tum pavitra shwet mandakini,
par tum sada mere tann mein lahu ban kar....

Binita Jha said...

but for our mothers we would never see this divine creation...........every mom is the best

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