
हम लोग जिंदगी में शार्ट कट तुरत तैयार कर लेते हैं। चाहे वह पानी पीने का मामला हो, खाना खाने या यात्रा करने का। कल ही एक खबर पढ़ रहा था कि अमेरिका में न्यूयार्क की राज्य सरकार बोतल बंद पानी के प्रयोग पर रोक लगाने जा रही है। खर्च में कटौती को लेकर। साथ ही ग्लोबल वार्मिंग जैसे खतरे से बचाव के लिए भी। शहर और गांव में पीने का पानी न मिले, न सही इसे कॉरपोरेट जगत बिजनेस करके पैसे जरूर कमा लेता है। बोतल बंद पानी आज हमारी दिनचर्या में शुमार है। रेलगाड़ी हो या बस, या फिर लंबी दूरी की यात्रा हम बोतल बंद पानी का उपयोग स्वास्थ्य के लिए जरूर करते हैं। ये सुविधाजनक भी लगता है। वैसे आज से २५-३० साल पहले जब ये प्रयोग में न होगा, तब क्या पीने के पानी के लिए इतनी मारामारी होगी। निश्चित रूप से नहीं। क्योंकि हमने इतनी प्रगति नहीं की थी कि हमारे जलाशय और जल के स्रोत प्रदूषित हों। इसलिए लोग आराम से टैप वाटर यानी नल के पानी का प्रयोग कर पाते थे। भूमिगत जल भी बेहतर होता था। ये तरक्की, इस विकास ने पीने, खाने के ढर्रे बदल दिये। अब बोतल बंद पानी को स्टेटस सिंबल मानकर चलते हैं। सेमिनार में या बाहर हम बोतल बंद पानी पर खुलेआम खर्च करते हैं। अगर इन पैसों का उपयोग शुद्ध पेयजल की जगह-जगह उपलब्धता पर किया जाये, तो तस्वीर का दूसरा रूप भी मिलेगा। एक बेहतर प्रयोग समाज और देश दोनों के लिए होगा। बोतल बंद पानी - एक छोटी चीज, पर आयाम कई
2 comments:
बोतल बंद पानी अब स्टेटस सिंबल न होकर जरुरत बन गया है. इन्सान का इम्यूनाइजेशन कम हुआ है, अब जल्दी संक्रमित हो जाता है.
जितना धन बोतलबंद पानी पर खर्च हो रहा है उस में सारे देश के लिए साफ शुद्ध पेय जल उपलब्ध कराया जा सकता है। बस बात इतनी है कि निजि उत्पादकों के धन्धे बंद हो जाएंगे और उन से राजनैतिक दलों को मिलने वाला चंदा भी।
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