Saturday, June 13, 2009

राजनाथ जी, जल्दी कुछ करिये, समय कम है।

आज यशवंत के भाजपा में अपने पद से इस्तीफे की घटना ने नया रोमांच ला दिया है। यशवंत ने किन कारणों से इस्तीफा दिया, ये तो बाद की बात है,लेकिन झारखंड की राजनीति को इससे खासा असर पड़ेगा। सबसे ज्यादा असर उन भाजपाइयों पर पड़ेगा, जिन्होंने इस चुनाव में कम से कम झारखंड में भाजपा में जान फूंकने की कोशिश की थी। यशवंत ने पिछली बार की हार को इस बार खुद के बल पर जीत में बदला है। ये यशवंत सिन्हा का शायद आत्मविश्वास ही है, जो कि सच को कबूलने को उन्हें साहस दे रहा है। भाजपा इस बार की हार के बाद दोराहे पर खड़ी है। उसे दिशा दिखानेवाले अटल और आडवाणी अब निस्तेज हो चले हैं। कोई भी पार्टी कैडर को विश्वास में लेकर ही आगे बढ़ती है। लेकिन ये भाजपा के साथ अन्य पार्टियों का भी दुर्भाग्य है कि कैडर को दरकिनार कर मठाधीशों ने अपनी मनमानी शुरू कर दी। भाजपा के भीतर जारी दरार से सबसे ज्यादा नुकसान भारतीय राजनीति को होगा। क्योंकि कांग्रेस से पार पाने की औकात और किसी पार्टी में नहीं दिखती। कम से कम अभी तो नहीं। वैसे में अगर भाजपा और कमजोर होती चली जायेगी, तो कांग्रेस की मोनोपॉली को चुनौती देनेवाले सूरमाओं का मैदान में संख्या कमतर होती चली जायेगी। वैसे में राजनाथ अगर यशवंत के इस बगावत को सकारात्मक अंदाज में लेकर कुछ अलग ढंग से पार्टी के बारे में सोचें, तो इससे भाजपा का ही कल्याण होगा। भाजपा का हिन्दुत्व एजेंडा फेल हो चुका है। उसके सबसे विश्वस्त और जोरदार तरीके से आवाज उठानेवाले जेटली, यशवंत जैसे नेता समय-समय पर अपनी लय खो रहे हैं। ये शुभ संकेत नहीं है। राजनाथ जी, जल्दी कुछ करिये, समय कम है।

4 comments:

Publisher said...

यह मेरी निजी राय है भाई साहब की अटल जी के बैठने के बाद से ही भाजपा को दीमक चाटने लगी थी। रही-कही कसर प्रमोद महाजन जी की मौत के हादसे ने पूरी कर दी। नरेन्द्र मोदी को मंद मिलना चाहिए, लेकिन पता नहीं किस घालमेल में भाजपा उलझी है। आडवाणी जी इस स्तर पर है बैठ जाएं, तो ही फायदा और राजनाथ जी पब्लिक को अपील ही नहीं कर पाते। तो आप ही बताएं, पार्टी में बचा क्या है?
वरुण गांधी ने जरा हल्ला करके सस्ती पब्लिसिटी बटोरने की कोशिश की थी, जो मुद्दा भी एक दोयम दर्जे का ही था। ऐसे में पार्टी अपनी लुटिया खुद डुबोती नजर आती है। रही बात नरेन्द्र मोदी जी की, उनको इन लोकसभा चुनावों में अपने प्रधानमंत्री के तौर पर भाजपा प्रोजेक्ट करती, तो शायद जितनी सीटें, मिली उससे ज्यादा मिलती। और रही बात कांग्रेस से टक्कर लेने की, आप सही कहते हैं, कांग्रेस की तैयारी के लिहाज से भाजपा पानी भी नहीं भरती कांग्रेस के आगे।

कांग्रेस की तो जय हो गई। अब भाजपा का भय कैसे हो, देखेंगे। शुक्रिया, अच्छा लिखा आपने।

सुरेश शर्मा . कार्टूनिस्ट said...

prabhatjee, rajnath ji kya kar payenge,bhajpa aur rajad dono par sani ki sadhe saati lagi hai.

Anonymous said...

bjp ko pure bharat ki chinta karna ata to kitna achacha hota ab niti aur niyat vayakti aur vayavhar dono ka viakas karna hoga

Gyan Dutt Pandey said...

राजनाथ जी हटें, यह सेवा कर सकते हैं भाजपा की।

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