नल में पानी नहीं आया
किसी ने है नहीं नहाया
टीवी पर रिपोर्ट आयी
पूरे देश में पानी के लिए है त्राहि-त्राहि
हमारा मन भी तड़प उठा है
कुछ देर के लिए दया से भर गया है
जी भरकर सिस्टम को गरिया रहा हूं
दूसरे को ऐश करते देख जल रहा हूं
इंतजार करते मन थक गया है
अरे ये देखो नल में पानी आ गया है
अब क्या और किस बात की है परवाह
बस अपना हो जाये स्नान, इसी की है चाह
पूरे देश में सब यही सोचते हैं
पानी हमें पहले मिल जाये
यही भांजते हैं
देखो पानी सूख रहा है
ताल-तलैया में न कोई डूब रहा है
सूखते डैमों में पत्थर आग उगल रहे हैं
नंगें पैरों से चलकर सब उस पार हो रहे हैं
धरती को भेदकर और कितना तड़पाओगे
कुछ तो रहम करो
तभी आगे पानी भी पाओगे
आज तो हमने स्नान कर लिया है
लेकिन कल कैसे होगा
इसी को सोच कर मन परेशान हो रिया है
टेंशन लेने का नहीं, देने का है
टाइम कुछ कर गुजरने का है
देखते हैं क्या कुछ कर सकते हैं
पानी कम से कम बचा तो सकते हैं
Thursday, June 18, 2009
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