मुंबई की बारिश देखकर मन कांप उठता है। क्या बारिश होती है भाई? महानगरों का आकर्षण लोगों को खींच लाता है। महानगरों पर चौतरफा बढ़ते दबाव से सभी परेशान हैं। बिजली, पानी की बढ़ती मांग ने नाक में दम कर दिया है। बिहार और झारखंड की अधिकांश त्रस्त गरीब आबादी दिल्ली और मुंबई की ओर ही रुख करती रही है। इस बार हुई कम बारिश ने रही-सही कसर पूरी कर दी है। ऊपर से बढ़ती महंगाई। मिलाजुला कर कांग्रेस के राज में साढ़े साती का योग शुरू हो चुका है। लाख सर पीट लें कि हमारा मुल्क तरक्की की ओर अग्रसर है, लेकिन सच्चाई ये है कि आम आदमी तबाह है। सब्जी की दुकानों पर बढ़ते भाव को जानकर सब्जी खरीदने की इच्छा नहीं होती। दाल, भात और आलू-चोखा खाकर दिन गुजारनेवाला आम परिवार अब सिर्फ माड़-भात के सहारे ही जिंदा रहने की सोच रहा है। नौकरी नहीं, वेतन वृद्धि नहीं और ऊपर से ये बढ़ते दाम, एक आम आदमी जाए, तो जाए कहां? कांग्रेस को जिस सबसे खतरनाक दुश्मन से लोहा लेना है, वह और कुछ नहीं महंगाई ही है। मनमोहन सरकार को काफी गंभीर होकर इस समस्या का निदान खोजना होगा, नहीं तो भगवान जाने आगे क्या होगा?
सब्जी की दुकान पर
नही गए सीना तानकर
लाज-शर्म से हुए पानी हैं
पैसा कम पाकर याद आयी नानी है
मनमोहन जी से है यही उम्मीद
कुछ करके जलाएंगे आशा के दीप
Tuesday, July 14, 2009
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3 comments:
पंजे का प्रताप है.
kexidjsm la Abhee 5 salon tak yahan hai bhaee. usee par sadhe satee aayegi to aam adami kee to halat aur bhee khrab hogee. unke liye dua karen ki wo kam me safal hon.
read Congress to instead of kexidjsm la.
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