Saturday, August 8, 2009

लापरवाह तंत्र और एनएच पर आग

हर शहर एक कहानी कहता है। उसका एक अपना रहस्य होता है। यहां झारखंड की राजधानी रांची में आज-कल एक नयी कहानी दोहरायी जा रही है। शहर से ३० किमी की दूरी पर कुजू के पास एनएच-३३ आग की चपेट में है। ये कोई एक दिन में घटित घटना नहीं है। इसके पीछे कोयले के अवैध खनन की कहानी है। सीसीएल और प्रशासन आंख मूंदे रहा, जिसके कारण भीतर ही भीतर आग धधकती रही। आज अंदर से खोखले हो चुके एनएच की नीचे की जमीन कब खिसक जाये, किसी को पता नहीं। आलाधिकारी दौरा पर दौरा कर रहे हैं। प्रशासन ने रास्ते को ब्लाक कर दिया है। वैकल्पिक मार्ग के सहारे यातायात चालू रखने की कोशिश जारी है। ये एनएच झारखंड राज्य की लाइफलाइन है। कोई भी राज्य कैसे अंधेरगर्दी की ओर जाता है, उसका झारखंड एक अनोखा उदाहरण है। अब इसके बारे में क्या, क्या कहें, शब्द भी कम पड़ते नजर आते हैं। अभी राज्य के अधिकारी और पुलिस इस समस्या से निपटने के लिए जोर लगाये हुए हैं। दूसरी ओर उन कारणों को जानने की कोशिश कोई नहीं कर रहा है, जिसके कारण राज्य की सांस अटक रही है। ये शहर बदनसीबी के आंसू रो रहा है। गगनचुंबी इमारतों की बढ़ती संख्या के बीच पड़ोस में बन रहे गड्ढों और खाइयों के लिए भी शायद ये शहर जाना जाये। इसकी कहानी में और एक कहानी जुड़ जाये। इतिहास में शायद ऐसा होता रहा हो।

3 comments:

Chandan Kumar Jha said...

दुखःद घटना.

संगीता पुरी said...

कोई भी राज्य कैसे अंधेरगर्दी की ओर जाता है, उसका झारखंड एक अनोखा उदाहरण है। अब इसके बारे में क्या, क्या कहें, शब्द भी कम पड़ते नजर आते हैं।
सच किसी के पास शब्‍द नहीं होंगे .. अंत कहां पर जाकर होगा .. समझ में नहीं आता !!

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

किसी को कुछ नहीं दिखता यहां. सब कुछ लिखित में चाहिये.

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