हे ब्लागर भगवान
हमें बचाओ तुम महान
बनाओ एक अच्छा इंसान
यहां धर्म की लड़ाई में
गिर रहे हैं खाई में
मैं बच्चा नादान
समझ नहीं पाता धर्म महान
यहां दाल-रोटी, जिंदगी नहीं
उस एक सर्वशक्ति की बंदगी नहीं
हे ब्लागर भगवान
हमें बचाओ तुम महान
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यहां मुफ्त प्रचार का पूरा है इंतजाम
अभय, संबल का काम तमाम
हे ब्लागर भगवान
हमें बचाओ तुम महान
मैं नहीं चाहता कोई वार
बस चाहता हूं छोटा संसार
छोटा संसार ब्लाग की दुनिया का
जहां चाहूं अपना बिना टेंशन कोना का
तुम्ही अब हो रखवाले,
करो कोई विचार तुम ऊपरवाले
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बकवास बहस के बीच
अखबारों में छपती फिल्मी सितारों की खबरों के बीच
बस यही एक बचा था संसार
जहां हम आते थे छोड़ संसार
पर निशाने पर किसी के
आ गया है पूरा घरबार
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डरता हूं किसी की बुरी नजर से
तड़पती, बेचैनी, कांपती धड़कनों से
चाहता हूं बनना एक अच्छा इंसान
सब जिये अपना धर्म महान
हे ब्लागर भगवान
हमें बचाओ तुम महान
Tuesday, September 1, 2009
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4 comments:
बहुत सुन्दर कविता. बधाई.
इतनी वंदना की है ब्लॉगर भगवान की कि सभी को निश्चिंतता हो गई. आभार. :)
बहुत सुन्दर..........ब्लागर भगवान सभी को आशीश दें. आभार.
बहुत अच्छे! आप की सोच की दिशा की दाद देनी पड़ेगी।
बाबा तुलसी ने कहा -परहित सरिस धरम नहीं भाई!
सभी मनुष्यों को एक समान समझने जैसा कोई धरम नहीं है।
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